आप की याद आती रही रात भर / गमन / गीत : मख़दूम मोहियुद्दीन,स्वर :छाया गांगुली ,संगीत जयदेव
नई री लगन / आलाप/स्वर मधु रानी,फ़ैय्याज,येसुदास ,संगीत जयदेव
बेकरारे दिल,दूर का राही,किशोर कुमार-सुलक्षणा पंडित,
आप की आंखों में कुछ - घर , किशोर-लता ,संगीत-राहुलदेव बर्मन,गीत-गुलज़ार
नई री लगन / आलाप/स्वर मधु रानी,फ़ैय्याज,येसुदास ,संगीत जयदेव
बेकरारे दिल,दूर का राही,किशोर कुमार-सुलक्षणा पंडित,
आप की आंखों में कुछ - घर , किशोर-लता ,संगीत-राहुलदेव बर्मन,गीत-गुलज़ार
हमने तो चारों गीतों का लुत्फ़ उठाया आज!!
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.
ये कोई बात हुई? कोई आपके ब्लोग पर आये और उसे डबल मेहनत करनी पड़े? बिलकुल ...सही जगह पहुँच गई मैं. अपनी पसंद के गाने भी सुनती रही और पढ़ती भी रही.
ReplyDeleteसुबह सुबह मन खुश हो गया! शास्त्रीय संगीत पर आधारित इन् गीतों ने जैसे अंतरात्मा को भीतर तक तृप्त कर दिया.
सच कह रही हूं. आप लोगों को खुश करने के लिए 'ऊंची' दूँ ऐसी नही मैं.
बस एक अन्याय किया आप ने बाबु! मैं पढ़ना और सुनना दोनों चाहती हूं और लिखना भी किन्तु.........
गाने सुनते हुए आँखे स्वतः बंद हुई जा रही है,अब पढूं कैसे और व्यूज़ लिखूँ किस तरह?
कमरे मे हल्का अँधेरा,हल्का उजाला हो और धीमी धीमी आवाज मे गूंजता मधुर संगीत. उसे कोई खुली आँखों से सुनता है? नही ना! मैं तो कत्तई नही .
क्योंकि ऐसिच हूं मैं.आँखे बंद कर आत्मा से सुनती हूं गीत और संगीत.