आ जा पंछी अकेला है , रफ़ी-आशा,मजरूह,सचिनदेव बर्मन,नौ दो ग्यारह
दीवाना मस्ताना हुआ दिल, रफ़ी-आशा,मजरूह,बम्बई का बाबू,सचिनदेव बर्मन
मन रे तू काहे न धीर धरे ,चित्रलेखा, रफ़ी,साहिर लुधियानवी,रौशन
दीवाना मस्ताना हुआ दिल, रफ़ी-आशा,मजरूह,बम्बई का बाबू,सचिनदेव बर्मन
मन रे तू काहे न धीर धरे ,चित्रलेखा, रफ़ी,साहिर लुधियानवी,रौशन
रोचक प्रस्तुती ...
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteदीवाना मस्ताना हुआ दिल और मन रे तू काहे ना धीर धरे,वो निर्मोही मोह ना जाने जिनका मोह किये'
ReplyDeleteबहुत प्यारे गाने हैं दोनों.
दोनों फिल्म्स भी मेरी पसंदीदा फिल्म्स मे से है. आपने देखि? नही? तो जरूर देखिये.प्यार के उद्दात्त रूप को दर्शाया गया है ,जहाँ प्यार ईश्वर के समीप ले जाता है और स्वयं ईश्वर बन जाता है.चारित्रिक दृढ़ता मैंने इन्ही से सीखी.
सच्ची.
क्योंकि सचमुच ऐसीच हूं मैं.
दुनिया कितनी आगे निकल गई है किन्तु मेरे लिए वहीं ठहरी है इन् दोनों नारी-चरित्रों के साथ.