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छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Tuesday, March 31, 2009
Tuesday, March 24, 2009
ओ रसिया मोरे पिया , छीन ले गयो रे जिया
१९६९ में बनी प्रार्थना फिल्म का यह गीत आशा भोंसले ने गाया है और हृदयनाथ मंगेशकर का संगीत है । इस धुन पर पहले एक मराठी गाना बना था - 'येरे घना,येरे घना' जो हिन्दी गीत से ज्यादा लोकप्रिय हुआ था।
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Sunday, March 22, 2009
काजोल की माँ का मजेदार गीत
तनुजा ( काजोल की माँ ) पर गाया एक मजेदार गीत । शैलेन्द्र का लिखा , सलिल चौधरी द्वारा संगीतबद्ध ।
Saturday, March 21, 2009
सच हुए सपने तेरे / काला बाजार / आशा भोंसले
सच हुए सपने तेरे झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
बेकल मन का धीरज लेकर मेरे साजन आये
जैसे कोई सुबह का भूला साँझ को घर आ जाए
प्रीत ने रंग बिखेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
मन की पायल छम छम बोले,हर एक साँस तराना
धीरे धीरे सीख लिया अंखियोंने मुसकाना
हो गए दूर अँधेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
जिस उलझन ने दिल उलझाके सारी रात जगाया
बानी है वो आज प्रीत की माला मन का मीत मिलाया
जगमग साँझ सवेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
बेकल मन का धीरज लेकर मेरे साजन आये
जैसे कोई सुबह का भूला साँझ को घर आ जाए
प्रीत ने रंग बिखेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
मन की पायल छम छम बोले,हर एक साँस तराना
धीरे धीरे सीख लिया अंखियोंने मुसकाना
हो गए दूर अँधेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
जिस उलझन ने दिल उलझाके सारी रात जगाया
बानी है वो आज प्रीत की माला मन का मीत मिलाया
जगमग साँझ सवेरे , झूम ले ओ मन मेरे
[चिकी चिकी चिक चई ]-२
चिकी चिकी चिक चा
Thursday, March 12, 2009
जर्मन रेडियो डॉएचे वेले पर गांधी - चर्चा
उज्ज्वल भट्टाचार्य मेरे शहर बनारस की वामपंथी युवा राजनीति से जुड़े रहे । १९७९ से जर्मनी में जर्मन रेडियो डॉएचे वेले के हिन्दी प्रभाग से जुड़े हैं । रेडियो पत्रकारिता के अलावा उज्ज्वल कविता और कहानी लिखते हैं । उन्होंने गेथे , हाइन , ब्रेख़्त , एनज़ेन्सबर्गर , ग्रास तथा हाइनर की रचनाओं के हिन्दी अनुवाद किए हैं तथा फ़ैज़ और रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कुछ रचनाओं के जर्मन में अनुवाद भी किए हैं । उज्ज्वल की जर्मन से अनुदित कवितायें - वतन की तलाश ( एरिक फ्रायड की कवितायें ) , भविष्य संगीत ( हान्स-मैग्नस एन्ज़ेन्सबर्गर की कविताएं) , एकोत्तरशती (ब्रेख़्त की १०१ कवितायें ), पता है तुम्हे उस देश का ( गेथे की कवितायें) प्रकाशित हो चुकी हैं ।
रेडियो जर्मनी डॉएचे वेले की साप्ताहिक सांस्कृतिक हिन्दी रेडियो पत्रिका ‘रंग तरंग’ में उज्जवल ने गत सोमवार को गांधीजी के सामानों की शराब तथा एयरलाइन्स व्यवसायी माल्या द्वारा बोली लगा कर खरीदने की चर्चा की । चर्चा का एक हिस्सा मुझसे बातचीत है । उक्त चर्चा की प्रस्तुति उनके जर्मन रेडियो डॉएचे वेले के प्रति आभार प्रकट कर यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ । मैं प्रसारण के वक्त इसे नहीं सुन पाया था । लंका स्थित ‘गार्जियन’ रामजी टंडन ने प्रसारण सुना था और प्रसन्न हो कर मुझे खबर दी थी। टंडनजी पर कभी अलग से चर्चा की जाएगी ।
सुनिए जर्मन रेडियो डॉएचे वेले के कार्यक्रम ‘रंग तरंग’ का यह अंक और अपनी राय भी प्रकट कीजिए -
Tuesday, March 10, 2009
Monday, March 9, 2009
Sunday, March 8, 2009
Saturday, March 7, 2009
मुझे चुभती है ,ये तो निगोड़ी भारी अंगिया
होली पर विशेष प्रस्तुति - (१)
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