Wednesday, November 4, 2009

दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है

आज रवि भाई ने अपने ब्लॉग पर गीत चढ़ाने वाले शौकीनों के लिए ’खुले स्रोत ’ का उपाय सोदाहरण बताया है । दो बार असफल होने के बावजूद उदास नहीं हुआ , फलस्वरूप यह उम्मीद पैदा करने वाला गीत आप सबके लिए प्रस्तुत हो सका । दिल नाकामयाब भले ही हो, नाउम्मीद न हो - आप सब के लिए यह कामना है । रवि भाई को समर्पित

10 comments:

  1. Is geet ke pehle ye 'sher 'hai ye yaad nahin tha. Is prerak geet ko sunvane ke liye aabhaar.

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  2. सुना भाई, पसंद आया...बहुत समय बाद सुनने में आया.

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  3. @ लोकेन्द्र , कृपया बतायें किन शब्दों को ठीक करवाना चाहते हैं ?

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  4. धन्यवाद.

    बहुत सुंदर, प्रेरक गीत.

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  5. न जाने क्यों मो़जिला पर नहीं दिख रहा यह प्लेयर मुझे । एक्सप्लोरर पर सुन कर कमेंट कर रहा हूँ ।

    इस सुंदर गीत का आभार ।

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  6. @ हिमान्शु , मैं मोज़िला पर ही सुन पा रहा हूँ ।

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  7. ye geet bahut dil ko Choo gayaa thaa.

    magar gaayak ko thodi koshish karanee thee, ki hemant kumarji kee aawaaz ko saadhane kee bajaay sur saadh lete.

    RD ke swar sanyojankaa to kyaa kahanaa!!

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  8. बहुत सुंदर गीत!

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पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।