Monday, July 7, 2008

चाँद अकेला जाये सखी री, येसुदास ,आलाप

चाँद अकेला जाये सखी री,
काहे अकेला जाई सखी री ।
मन मोरा घबडाये री,सखी री,सखी री,ओसखी री ।
वो बैरागी वो मनभावन,
कब आयेगा मोरे आँगन,
इतना तो बतलाये री,
सखी री , सखी री ,ओ सखी री । चाँद अकेला..
अंग अंग में होली दहके,
मन में बेला चमेली महके ,
ये ऋत क्या कहलाये री,
भाभी री , भाभी री, ओ भाभी री । चाँद अकेला...

2 comments:

  1. gaana bhut pasand aaya. sundar gaane ko sunane ke liye aabhar.

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  2. पहली बार यह गीत सुना, बहुत पसन्द आया। सुनवाने के लिए धन्यवाद।
    घुघूती बासूती

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