आज रवि भाई ने अपने ब्लॉग पर गीत चढ़ाने वाले शौकीनों के लिए ’खुले स्रोत ’ का उपाय सोदाहरण बताया है । दो बार असफल होने के बावजूद उदास नहीं हुआ , फलस्वरूप यह उम्मीद पैदा करने वाला गीत आप सबके लिए प्रस्तुत हो सका । दिल नाकामयाब भले ही हो, नाउम्मीद न हो - आप सब के लिए यह कामना है । रवि भाई को समर्पित
sundar.....
ReplyDeletepar jara shabd theek kr lijiye..........
Is geet ke pehle ye 'sher 'hai ye yaad nahin tha. Is prerak geet ko sunvane ke liye aabhaar.
ReplyDeleteसुना भाई, पसंद आया...बहुत समय बाद सुनने में आया.
ReplyDelete@ लोकेन्द्र , कृपया बतायें किन शब्दों को ठीक करवाना चाहते हैं ?
ReplyDeleteधन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुंदर, प्रेरक गीत.
न जाने क्यों मो़जिला पर नहीं दिख रहा यह प्लेयर मुझे । एक्सप्लोरर पर सुन कर कमेंट कर रहा हूँ ।
ReplyDeleteइस सुंदर गीत का आभार ।
@ हिमान्शु , मैं मोज़िला पर ही सुन पा रहा हूँ ।
ReplyDeleteye geet bahut dil ko Choo gayaa thaa.
ReplyDeletemagar gaayak ko thodi koshish karanee thee, ki hemant kumarji kee aawaaz ko saadhane kee bajaay sur saadh lete.
RD ke swar sanyojankaa to kyaa kahanaa!!
बहुत सुंदर गीत!
ReplyDeleteBahut achha
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