छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Sunday, June 28, 2009
येसूदास के आठ मधुर गीत
येसुदास के हिन्दी फिल्मी गीतों का दौर । बहुत आनन्ददायक दौर । क्या किसी क्षेत्रवादी साजिश के कारण उन्होंने हिन्दी फिल्मों गीतों में गाना बन्द कर दिया था ? अज़दक भाई शायद बता दें । या युनुस बतायें ।
अफलातून जी येसुदास के बारे में मैंने रेडियोवाणी पर भी लिखा है । सबसे पहले मेरी जानकारी में सलिल चौधरी उन्हें हिंदी फिल्म संसार में उतारा था । उनका संकट ये रहा कि बंबईया संगीत जगत में किसी भी नायक पर उनकी आवाज़ फिट नहीं बैठती थी । एक समय तक उनके बहुत गीत आए । पर फिर वे दक्षिण तक ही सिमट गए । सुना है कि बीच में वो अमरीका जाकर बस गए थे । बहुत बाद में अनिल कपूर अभिनीत एक फिल्म में उन्होंने अनिल कपूर के लिए गाया था । वो किसी क्षेत्रवाद का शिकार नहीं हुए । बंबईया फिल्म जगत की बंधी बंधाई लीक में जम नहीं सके । कुछ बरस पहले उनके बेटे विजय ने 'फिर मिलेंगे' नामक फिल्म में हिंदी में गाया है । ज़रा सोचिए कि अपने कुछ ही गीतों से येसुदास अपने अलबम की बिक्री में कई बड़े दिग्गजों को अभी भी पटखनी देते हैं ।
आपके माध्यम से आज की सुबह येसुदास के नाम रही .येसुदास मुझे बहुत पसंद है .बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteअफलातून जी येसुदास के बारे में मैंने रेडियोवाणी पर भी लिखा है । सबसे पहले मेरी जानकारी में सलिल चौधरी उन्हें हिंदी फिल्म संसार में उतारा था । उनका संकट ये रहा कि बंबईया संगीत जगत में किसी भी नायक पर उनकी आवाज़ फिट नहीं बैठती थी । एक समय तक उनके बहुत गीत आए । पर फिर वे दक्षिण तक ही सिमट गए । सुना है कि बीच में वो अमरीका जाकर बस गए थे । बहुत बाद में अनिल कपूर अभिनीत एक फिल्म में उन्होंने अनिल कपूर के लिए गाया था ।
ReplyDeleteवो किसी क्षेत्रवाद का शिकार नहीं हुए । बंबईया फिल्म जगत की बंधी बंधाई लीक में जम नहीं सके । कुछ बरस पहले उनके बेटे विजय ने 'फिर मिलेंगे' नामक फिल्म में हिंदी में गाया है । ज़रा सोचिए कि अपने कुछ ही गीतों से येसुदास अपने अलबम की बिक्री में कई बड़े दिग्गजों को अभी भी पटखनी देते हैं ।
ये आवाज भीतर घुसकर हलचल मचाती है। मदमस्त कर देती है। शुक्रिया आपका।
ReplyDeleteयेशुदास की आवाज मे जो कशीश है वह हमे अपनी ओर खिंचती है । हम आपके आभारी है कि आपने उनका यहाँ संकलन सुनने के लिये यहां उपलब्ध करवाया ।
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