छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Saturday, April 25, 2009
ये पाँच सालों का देने हिसाब आये हैं
कमलेश्वर और गुजराल की फिल्म आँधी आपातकाल के दौरान आई थी । इसे अलिखित तौर पर रोक दिया गया था । इस गीत में सुचित्रा सेन की चाल से आपको इन्दिरा गाँधी की चाल नहीं याद आती ?
Nice and realistic song. Earlier the leaders were direct, and they did not use the religion, region and caste factors. If this song would be recomposed then the lyricist would leave voting, and the song would banned by Censor Board, following the recommendation from Election Commision.
I don´t see any change in near future from any party.
बहुत प्यारा गीत है, आज का तो पता नहीं लेकिन पहले हर चुनाव के समय इसे जरूर बजाते थे
ReplyDeleteसिर्फ चाल ही नहीं सुचित्रा सेन का मेकअप, बालों में सफेदी की एक लड़ सभी इन्दिरा की याद दिलातीं थी
गीत बहुत प्यारा है, और मौजूं भी
Nice and realistic song.
ReplyDeleteEarlier the leaders were direct, and they did not use the religion, region and caste factors. If this song would be recomposed then the lyricist would leave voting, and the song would banned by Censor Board, following the recommendation from Election Commision.
I don´t see any change in near future from any party.