छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
very cool.
सुंदरतम प्रस्तुति।
बहुत सुरीलाअसली मज़ा तो तब आता है जब तीसरी या चौथी बार सुन जाय.
वाह ! कारी बदरिया यहां भी बरस रही है .
दादा,विदूषी गिरिजा देवी गातीं हैं लगता है बनारस गा रहा है.कैसी अबूझ विरहिणी बन जातीं हैंअप्पा (अप्पा शिष्य परिवार द्वारा विदूषी को दिया जाता है यह आदरणीय संबोधन)
सुन्दर गीत।
पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।
very cool.
ReplyDeleteसुंदरतम प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुरीला
ReplyDeleteअसली मज़ा तो तब आता है जब तीसरी या चौथी बार सुन जाय.
वाह ! कारी बदरिया यहां भी बरस रही है .
ReplyDeleteदादा,
ReplyDeleteविदूषी गिरिजा देवी गातीं हैं
लगता है बनारस गा रहा है.
कैसी अबूझ विरहिणी बन जातीं हैं
अप्पा
(अप्पा शिष्य परिवार द्वारा विदूषी को दिया जाता है यह आदरणीय संबोधन)
सुन्दर गीत।
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