संगीतकार कानू रॉय प्रसिद्ध गायिका गीता दत्त के भाई थे । हांलाकि उन्होंने फिल्मों में अभिनय( किस्मत . महल , जागृति , मुनीमजी , हम सब चोर हैं , तुमसा नहीं देखा , बन्दिनी ) भी किया लेकिन संगीतकार के रूप में उन्हें शायद ज्यादा याद किया जाता रहेगा ( उसकी कहानी , अनुभव , अविष्कार , गृहप्रवेश , स्पर्श )।
आगाज़ के रसिक श्रोताओं के लिए फिल्म अनुभव का यह गीत पेश है :
मेरी जाँ , मुझे जाँ न कहो मेरी जाँ
मेरी जाँ , मेरी जाँ,
जाँ न कहो अनजान मुझे
जान कहाँ रहती है सदा
अनजाने क्या जाने
जान के जाए कौन भला ॥
सूखे सावन बरस गये,
कितनी बार इन आँखों से।
दो बूँदें न बरसे,
इन भीगी पलकों से ॥
होंठ झुके जब होंठों पर
साँस उलझी हो साँसों में ।
दो जुड़वा होंठों की
बात कहो आँखों से ॥
( कृपया पहली बार यू ट्यूब को बफ़रिंग करने दें ,दूसरी बार में बिना व्यवधान सुनें,देखें । )
आगाज़ के रसिक श्रोताओं के लिए फिल्म अनुभव का यह गीत पेश है :
मेरी जाँ , मुझे जाँ न कहो मेरी जाँ
मेरी जाँ , मेरी जाँ,
जाँ न कहो अनजान मुझे
जान कहाँ रहती है सदा
अनजाने क्या जाने
जान के जाए कौन भला ॥
सूखे सावन बरस गये,
कितनी बार इन आँखों से।
दो बूँदें न बरसे,
इन भीगी पलकों से ॥
होंठ झुके जब होंठों पर
साँस उलझी हो साँसों में ।
दो जुड़वा होंठों की
बात कहो आँखों से ॥
( कृपया पहली बार यू ट्यूब को बफ़रिंग करने दें ,दूसरी बार में बिना व्यवधान सुनें,देखें । )
कनु रॉय के बारे में ये नई बात पता चली कि वे गीता दत्त के भाई थे. अभी तक तो मैं उन्हें बासु भट्टाचार्य के विशेष संगीतकार के और पर ही जानता था.
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति.
हम्म हमारा मनपसंद गीत ।
ReplyDeleteइसे कभी रेडियोवाणी पर भी चढ़ाया था ।
हमारे कल के छायागीत में भी बज रहा है ।
रात दस बजे ।
:)
धन्यवाद इतना मधुर गीत दिखाने और सुनवाने के लिए।
ReplyDeleteबहुत सादा, सुमधुर और उम्दा गीत-संगीत!
ReplyDeleteआज कल यह विरल है.
इसी तरह सुनवाते रहें अफलातून जी.