छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Wednesday, September 1, 2010
जन्माष्टमी पर तीन भजन / सहगल / सुब्बलक्ष्मी : सूरदास / मीराबाई
जन्माष्टमी के अवसर पर अपनी पसन्द के यह तीन भजन प्रस्तुत हैं :
kaun kar sakta hai napasand rakesh
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