छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
जो पराई आग में जल जले,वो इंसान हैwow !!!!!!!!!!!!जुल्म-ओ-सितम मिटाने के लिएतू जी ऐ दिल जमाने के लिएअपने लिएyaha dil le liya aap ne
पूरा गीत आज पहली बार पढ़ा ।
यह गीत हास्टल में हम ख़ूब गाया करते थे…
अफ़लातून जी,ये गीत जब आया था तब जावेद अख्तर के फ़िल्मी सफ़र का आगाज़ नहीं हुआ था। ये गीत जावेद अनवर का लिखा हुआ है, जावेद अख्तर का नहीं। कृपया ठीक कर लें।
@ पवनजी,आप बिलकुल सही हैं ,यह गीत जावेद अनवर का लिखा है। मैंने बिना अकल के नकल की - मक्षिका स्थाने मक्षिका वाले तर्क से। सुधार के लिए धन्यवाद।
पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।
जो पराई आग में जल जले,वो इंसान है
ReplyDeletewow !!!!!!!!!!!!
जुल्म-ओ-सितम मिटाने के लिए
तू जी ऐ दिल जमाने के लिए
अपने लिए
yaha dil le liya aap ne
पूरा गीत आज पहली बार पढ़ा ।
ReplyDeleteयह गीत हास्टल में हम ख़ूब गाया करते थे…
ReplyDeleteअफ़लातून जी,
ReplyDeleteये गीत जब आया था तब जावेद अख्तर के फ़िल्मी सफ़र का आगाज़ नहीं हुआ था। ये गीत जावेद अनवर का लिखा हुआ है, जावेद अख्तर का नहीं। कृपया ठीक कर लें।
@ पवनजी,
ReplyDeleteआप बिलकुल सही हैं ,यह गीत जावेद अनवर का लिखा है। मैंने बिना अकल के नकल की - मक्षिका स्थाने मक्षिका वाले तर्क से। सुधार के लिए धन्यवाद।