जोगी ठाकुर का लिखा गीत तरुणाई से लबरेज गाड़ीवान गा रहा है । जोगी ठाकुर ही इतना डूब के सुन रहे हैं ,उसे पता नहीं है ।
स्वर - मन्ना डे , संगीत - वसन्त देसाई , बोल - गुलज़ार , फिल्म आशीर्वाद
स्वर - मन्ना डे , संगीत - वसन्त देसाई , बोल - गुलज़ार , फिल्म आशीर्वाद
बहुत सुंदर।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।
पूरा ब्लॉग ही ढंक गया है । प्लेयर छोटा नहीं हो सकता ?
ReplyDeleteबतायें तब सुनूँगा ।
अब सही ?
Deleteइन गीतों के खरेपन में ज़िन्दगी के सच थे.
ReplyDeleteअब तो बस शोर है...
कुछ सुनने की चेष्टा करो तो बहरापन ज़्यादा सुहाना लगता है...
Purane geeton ki baat hi nirali thi, aaj ke kanfodu sangeet ka to khuda hi maalik hai. Kab aaye kab gaye pata hi nahi chalta.....
ReplyDeleteBadhai.