गाइए गणपति जग वन्दन ,
शंकर सुवन , भवानीनन्दन ।
सिद्धि सदन,गजवदन ,विनायक ,
कृपा-सिन्धु , सुन्दर सब लायक ।
मोदक प्रिय,मुद मंगलअदाता ,
विद्या-वारिधी ,बुद्धि विधाता ।
मांगत तुलसीदास कर जोरे,
बसे राम-सिय मानस मोरे ॥
शास्त्रीय गायन की वरिष्ट कलाकार अश्विनी भिडे देशपाण्डे के स्वर में , राग विहाग में यह प्रस्तुति ।
[कृपया पूरी बफ़रिंग के बाद सुनें - बिना बाधा। सबसे पहले बड़े तिकोने पर खटका मारें । बफ़रिंग के लिए ,कर्सर को प्लेयर के निचले हिस्से में स्थित नियंत्रण पर ले जाकर , शुरु होते ही रोक दीजिए तथा खड़ी डण्डियां भर जाने तक प्रतीक्षा करें(या अन्य काम करें),तब सुनें । ]
ये रचना हमने रेडियोवाणी पर अहमद हुसैन मुहम्मद हुसैन की आवाज़ में चढ़ाई थी । उसका भी अपना ही रंग है ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, आभार!
ReplyDeleteगणेशचतुर्ती पर हार्दिक मगलकामनाऍ।
यह पढने के लिये किल्क करे।
हिन्दी ब्लोग जगत के चहूमुखी विकास की कामना सिद्धिविनायक से
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
आपने बढिया चीज़ सुनवाई है. मज़ा आ गया.
ReplyDeleteतुलसी बाबा की इस रचना की उत्कृष्ट प्रस्तुति है यह । आभार इसे यहाँ प्रस्तुत करने के लिये ।
ReplyDeleteकभी-कभी ही सही कुछ ब्लाग जब संगीत से जुडे़ मिलते हैं तो बहुत खुशी होती है...आज प्रसन्न वदन फिर से प्रसन्न है क्योंकि आप के ब्लाग पर शास्त्रीय संगीत मिला...वाह......धन्यवाद....
ReplyDeleteबहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
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