वडोदरा और अहमदाबाद में गैर पेशेवर स्तर पर माउथ ऑर्गन बजाने वालों के क्लब हैं । माउथ ऑर्गन को हार्मोनिका भी कहा जाता है । मेरे बड़े भाई नचिकेता ’हार्मोनिका क्लब ऑफ़ गुजरात’ के सक्रिय सदस्यों में एक हैं ।
करीब आठ साल की उम्र से वह माउथ ऑर्गन का दीवाना हुआ था - यानी मेरी पैदाइश के आसपास कभी । मेरी माँ की नानी स्नेहलता सेन शान्तिनिकेतन की स्थापना के समय से वहाँ के एक छात्रावास की अधीक्षक थीं और मेरी नानी और उनके दो भाई शान्तिनिकेतन के शुरुआती विद्यार्थियों में थे । नानी वीणा बजातीं और मेरी माँ के छोटे मामू जान (हमारे दादुल) बाँसुरी । माँ के ममेरे भाइयों में एक माउथ ऑर्गन बजाते थे और उन्हें देख कर ही भाई साहब पर इसकी धुन सवार हो गयी थी ।
पिछले रविवार को अहमदाबाद के हार्मोनिका क्लब के सदस्यों का उत्साह देखने लायक रहा होगा । भारत में माउथ ऑर्गन बजाने वालों में श्रेष्ठतम मदन कुमार अहमदाबाद आये हुए थे और क्लब वालों के बीच आना स्वीकार किया था । मदन कुमार ने इनके बीच अपनी राम कहानी सुनाई ,धुनें सुनाईं और कुछ सबक भी दिए । उन्हें शैशव से ही पिता का स्नेह नहीं मिला और अपने संघर्ष के बूते वे देश के सर्वश्रेष्ठ माउथ ऑर्गन वादक बने । आज कल पुणे में वे बच्चों को बजाना सिखाते हैं ।
उनकी अपनी जुबानी उनकी राम कहानी हार्मोनिका क्लब ऑफ़ गुजरात के ब्लॉग पर आती रहेगी । यहाँ क्लब के विशेष सौजन्य से उनका बजाया ,उनके सर्वाधिक पसन्दीदा गीत - ’याद किया दिल ने कहाँ हो तुम ’ की धुन ।
सुबह सिलोन पर मदन कुमार को सुनने के अलावा शाम को विविध भारती पर ’साज और आवाज’ की भी आपको याद होगी । इसलिए उन दिनों की याद में मूल गीत भी सुनिए :
[ प्लेयर पर कर्सर को निचले भाग में ले जायेंगे तो नियन्त्रण के औजार दिखाई देंगे। फिर से सुनने के लिए गीत समाप्त होने पर कर्सर निचले भाग में ले जाना होता है और खटका मारना होता है । फिर से सुनने , एम्बेड कोड और डाउनलोड के प्रावधान परदे पर प्रकट हो जाते हैं । डिवशेयर की खूबी है कि दूसरी बार सुनने पर बिलकुल रुकावट नहीं होती । ]
भाग्य की बात है, मैने माँग की और नचिकेतजी ने माउथऑर्गेन बजा कर सुनाया था.
ReplyDeleteयह वाज्ययंत्र उसके दिवानों के उत्साह के बल पर जिंदा है. संगठन को तमाम शुभकामनाएं.
जान कर अच्छा लगा.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Madan ji ke bare mein batane ka shukriya.
ReplyDeleteAfloo Bhai audio version load keejiye. Video ruk ruk kar buffer hota chalta hai to aannand aadha rah jata hai.
बडा ही सुरीला वाद्य है.मगर काफ़ी लिमिटेशन्स भी है. मगर उसके बावजूद मदनजी नें कमाल का बजाया. वाकई मास्टर हैं.
ReplyDelete