पूर्वी उत्तर प्रदेश में कम बारिश होने के बावजूद दो बार मोर को मतवाले होते देख पाया । पहली बार तो एक बच्चा (मानव)पहले दिखा । कितना अचंभित,अभिभूत ! पहली बार मोर को नाचते हुए देखा होगा।
अफ़सर फिल्म (१९५०) के इस सुरीले गीत में नरेन्द्र शर्मा, सचिनदेव बर्मन और सुरैय्या सबका अपूर्व योगदान है :
सैंकड़ों पुराने गीतों के दो डीवीडी सागर नाहर ने मुझे भेट दिए । उनमें से एक में है , यह ।
पहले जब जब ये गीत सुना है तब भी बहुत पसँद आया और आज भी !
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सागर भाइस्सा को और आप
दोनोँ को धन्यवाद -
उस बच्चे के आनँद की
प्रतीति हो रही है
और मन मोर नाच रहा है ...
बारिश की फुहारेँ
सँजीवनी का काम करे
यही शुभकामना है
- लावण्या