Thursday, July 16, 2009

मोरा सैंया मो से बोले ना !

यह गीत जरूर सुनें । इस गीत के बारे में कोई सूचना दे सकें तो और खुशी होगी ।

6 comments:

  1. Aflatoon ji,

    Yeh shayad ek Pakistani gaayak Amanat Ali ki awaaz mein hai. Adhik jaankaari yahan hai...
    http://mohnesh.wordpress.com/2009/02/03/mora-saiyaan-mose-bole-na-fuzon/

    ReplyDelete
  2. सूचना बस इतनी है कि समीर लाल सुन कर गदगद डले हैं..और क्या सूचना दें??? बताओ मित्र!!!!

    ReplyDelete
  3. क्या बात है. भाई गज़ब है ... सुबह की इस से अच्छी क्या शुरुआत हो सकती है.

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन गीत और बेहतरीन गायन . पाकिस्तानी बैंड फ़्यूज़न की प्रस्तुति है और शफ़कत अमानत अली का गायन है . इस पारम्परिक गीत को उन्होंने डूब कर गाया है . इसे मनीष और विमल वर्मा प्रस्तुत कर हमारी आत्मीयता और वाहवाही पा चुके हैं . नीचे दिए गए उनके लिंक्स पर काफ़ी सामग्री है और एक उत्कृष्ट वीडियो प्रस्तुति भी .
    फिर से सुनवाने के लिए आभारी हूं . इस प्रस्तुति से मन भरता ही नहीं . कोई करुण आदिम पुकार व्याप्त है समूचे गीत में . रक्त में घुलता जाता है इसका संगीत . कबीर की भाषा में कहें तो शिराएं तांत की तरह तन जाती है . मन के भीतर जो कुछ ठोस है सब तरल हो जाता है . अपूर्व करुणामिश्रित आनन्द के क्षण होते हैं वे .


    http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/07/blog-post_6598.html

    http://thumri.blogspot.com/2008/04/blog-post_10.html

    ReplyDelete
  5. मुझे भी यह बहुत ही पसंद है......रूह में उतर जाने वाली इस सुन्दर गीत को सुनवाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..

    ReplyDelete
  6. अफ़लातून जी बहुत अच्छा किया कि इस रचना को आपने भी पोस्ट किया मैने तो इसका ऑडियो www.lifelogger.com के प्लेयर पर चढ़ाया था, पर अब इसकी बत्ती ही गुल है,फिर से सुनकर मज़ा आया वैसे इनके बारे में http://en.wikipedia.org/wiki/Shafqat_Amanat_Ali क्लिक करके और भी जानकारी ले सकेंगे।

    ReplyDelete

पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।