छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Tuesday, February 3, 2009
' हमनी के रहब जानी , दूनो परानी ' : शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा जब आईं और बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में छा गयीं तब उनका यह गीत हमारे दिमाग पर सवार हो गया था , लाजमी तौर पर ।
No comments:
Post a Comment
पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।