१९५४ की नवकेतन की फिल्म । देवानन्द , कल्पना कार्तिक ,शीला रमानी , जॉनी वॉकर ।
दिल से मिला के दिल ,प्यार कीजिए
कोई सुहाना इक़रार कीजिए
शरमाना कैसा ,घबड़ाना कैसा
जीने से पहले , मर जाना कैसा
फ़ासलों की छाँव में ,
रस भरी फ़िज़ाओं में
इस जिन्दगी को गुलज़ार कीजिए
आती बहारें , जाती बहारें
कब से खड़ी हैं , बाँधे कतारे
छा रही है बेखुदी
कह रही है ज़िन्दगी
दिल की उमंगे बेदाद कीजिए
दिल से भुला के ,रुसवाइयों को
जन्नत बना लें , तनहाइयों को
आरज़ू जवान है
वक़्त महरबान है
दिल खो न जाये , खुशी यार कीजिये,दिल से...
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achcha geet sunaya aapne
ReplyDeleteshukriya
Wah Wah
ReplyDeleteBadiya prastuti...
अनसुना गीत , कितना अनोखा,कितना चुलबुला, कितना शोख!!
ReplyDeleteवह भी लता की आवाज़ में ?
शुक्रिया...