छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
सिर्फ आपके ही नहीं, हमारे जमाने का भी. :)
khuub gungunaney vala geet hai ye!!!!
kahe manwa nache humrasakhi re koyi ise samjhaye...waah sundar prastuti achcha laga is yahan sun kar
पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।
सिर्फ आपके ही नहीं, हमारे जमाने का भी. :)
ReplyDeletekhuub gungunaney vala geet hai ye!!!!
ReplyDeletekahe manwa nache humra
ReplyDeletesakhi re koyi ise samjhaye...
waah sundar prastuti achcha laga is yahan sun kar