छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Wednesday, August 27, 2008
मुकेश के स्वर में
कल श्रोता बिरादरी ने सूचना दी कि आज मुकेश की पुण्य तिथि है । संगीत वाले चिट्ठों ने मुकेश के गीत प्रस्तुत किए हैं । मैं भी अपनी पसन्द के कुछ गीत और विडियो प्रस्तुत कर रहा हूँ , उम्मीद है आप को भी पसन्द हों ।
ज़िंदगी ख़्वाब है का यह वर्ज़न मेरे पास जो है उससे थोड़ा अलग लगा। आवाज़ पतली और कांपती सी लगी। हो सकता है तकनीकी खराबी हो या हो सकता है यह सचमुच ही दूसरा वर्ज़न हो… जो भी हो मज़ा आ गया।
rajnigandha..kayi baar....behad pasand hai..khaskar iskey bol..aabhaar
ReplyDeleteoh ye geet rah gaya thaa...zikr hota hai jub...gazab...
ReplyDeleteज़िंदगी ख़्वाब है का यह वर्ज़न मेरे पास जो है उससे थोड़ा अलग लगा। आवाज़ पतली और कांपती सी लगी। हो सकता है तकनीकी खराबी हो या हो सकता है यह सचमुच ही दूसरा वर्ज़न हो… जो भी हो मज़ा आ गया।
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