छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Monday, August 18, 2008
मीयाँ की मल्हार में व्यंग्य
शास्त्रीय संगीत पर आधारित व्यंग्य ! मुझे लगता है उत्कृष्ट व्यंग्य के साथ उत्कृष्ट शास्त्रीय संगीत का मेल बैठाना अत्यन्त हूनरमन्द ही कर सकते हैं । ऐसे कभी कदाच ही मुमकिन होता है । मेरे होश में आने के बाद सुनील दत्त / किशोर कुमार बनाम महमूद (मन्ना डे) की पडोसन में हुई स्पर्धा ही इस श्रेणी में गिनी जाएगी ।
शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध इस गीत में मन्ना डे के साथ किसी पक्के शास्त्रीय गायक के टुकड़े भी हैं । क्या वह पण्डित भीमसेन जोशी की आवाज है ? गीत मियाँ की मल्हार में है।
प्रकाश अरोड़ा द्वारा निर्देशित इस श्वेत - श्याम फिल्म बूट पॉलिश (१९५४) में बेबी नाज़ , रतन कुमार,चाँद बुर्के और चरित्र अभिनेता डेविड अब्राहम ने अभिनय किया है। रतन कुमार की चर्चा मैंने इस पोस्ट में की है । इस फिल्म को सर्वोत्तम फिल्म के लिए फिल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला । केन्स फिल्म समारोह में बाल कलाकार के रूप में बेबी नाज़ के उत्कृष्टअभिनय का विशेष उल्लेख किया गया । डेविड को सर्वोत्तम सहायक अभिनय के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। विडियो यहां देखें ।
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badhiya hai ...accha laga
ReplyDeleteही ही ही.. सिर पर खेती भी होनी चाहिये :P वैसे आजकल सम्भव भी है। :)
ReplyDeleteगाना अति उत्तम है।
ReplyDeleteलेकिन अफलातून जी, ज़रा किसी जानकार से चेक कीजिएगा- मेरी जानकारी के मुताबिक ये मियां मल्हार नहीं बल्कि दरबारी या अड़ाना में बना है।