छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Wednesday, August 13, 2008
रात पिया के संग जागी रे सखी/जाँनिसार अख़्तर/मीनू पुरुषोत्तम
फिल्म प्रेम परबत के लिए यह गीत मीनू पुरुषोत्तम ने गाया है । गीत के बोल जाँनिसार अख़्तर के हैं और धुन जयदेव की । इस फिल्म का 'ये दिल और उनकी निगाहों के साए' ज्यादा चर्चित रहा है । सुधी श्रोता रस लेंगे :
प्रेम की दुंदुभी तो चहुं ओर बज रही है पर 'सिंदूर तिलकित भाल' के स्वकीय प्रेम की बात ही कुछ और है . और वही प्रेमरस अपने सर्वाधिक सुमधुर रूप में इस गीत में बरस रहा था . आप्लावित हूं . आनंदित हूं . आभारी हूं .
Aaah !!
ReplyDeleteआनन्द आ गया, बहुत आभार.
ReplyDeleteसुन्दर गीत है।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत-बहुत बधाई।
shabd to miltey hi nahi aisey adhbhut geeton ki tareef ke liye..bahut aabhaar ..bahut baar suna kal se
ReplyDeleteप्रेम की दुंदुभी तो चहुं ओर बज रही है पर 'सिंदूर तिलकित भाल' के स्वकीय प्रेम की बात ही कुछ और है . और वही प्रेमरस अपने सर्वाधिक सुमधुर रूप में इस गीत में बरस रहा था . आप्लावित हूं . आनंदित हूं . आभारी हूं .
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