छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
दादा अदभुत कम्पोज़िशन है.रूना लैला के स्वर के विस्तार को बयाँ करती सी. भारतीय उप-महाद्वीप की इस समर्थ गायिका को हमने क्या प्रोग्राम है आज रात का और दमादम मस्त कलंदर के आगे शायद जाना ही नहीं है. एकसान आपका इस आवाज़ के लगभग गुम रहे पहलू को सार्वजनिक करने के लिये.
aanand aa gayaa..aabhaar
ReplyDeleteसही है्.
ReplyDeleteदादा अदभुत कम्पोज़िशन है.रूना लैला के स्वर के विस्तार को बयाँ करती सी. भारतीय उप-महाद्वीप की इस समर्थ गायिका को हमने क्या प्रोग्राम है आज रात का और दमादम मस्त कलंदर के आगे शायद जाना ही नहीं है.
ReplyDeleteएकसान आपका इस आवाज़ के लगभग गुम रहे पहलू को सार्वजनिक करने के लिये.
गज़ब..
ReplyDeleteरूना लैला ने कुछ गैर फिल्मी गाने ओपी नैय्यर के संगीत मे गाये थे, क्या उनमें से कोई गीत है आपके पास?