जलते हैं जिसके लिए , तेरी आंखों के दीए,
ढूंढ़ लाया हूं वही गीत मैं तेरे लिए ।
दिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं ,
गीत नाज़ुक हैं मेरे शीशे से भी टूटे न कहीं ,
गुनगुनाऊँगा वही गीत मैं तेरे लिए ॥
जब तलक न ये तेरे रस के भरे होटों से मिलें,
यूँ ही आवारा फिरें , गायें तेरी ज़ुल्फ़ों के तले ,
गाए जाऊँगा वही गीत मैं तेरे लिए ॥
Jalte Hain Jiske L... |
यह गीत मुझे भी बहुत पसंद है . सच तो यह है कि यह किसे पसंद न होगा . पहली पंक्ति ही ऐसी उठान लिए है कि क्या कहना . ऊपर से तलत महमूद की लरजती आवाज़ .
ReplyDeleteवाह, क्या मधुर गीत सुनवाया है ! बचपन का सुना गीत आज भी कानों में वह मिश्री घोल रहा है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
नायाब गीत है--फ़िल्म तो जितनी बार देखी जाये कम है-- आभार
ReplyDeletebahut bahut khoobsoorat geet...thanks
ReplyDeleteयह गीत मुझे भी बहुत पसन्दर है। इसको सुनवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteये गीत,
ReplyDeleteविश्वास से जलते दीपक सा
मध्धम और मधुर है ~~~
एकदम नायाब गीत है.
ReplyDeleteएक जमाने में मैं इसे गिटार पर बजाया करता था.