छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Sunday, April 13, 2008
दो प्रेम गीत : प्रेम परबत ,हमराही से
मोहम्मद रफ़ी और मुबारक़ बेग़म का यह मधुर दोगाना, 'मुझको अपने गले लगा लो,ऐ मेरे हमराही', 'हमराही' फ़िल्म से लिया गया है । मुबारक़ बेग़म ने फिल्मों में कम गीत गायें हैं लेकिन उनकी एक विशिष्ट छाप है ।
प्रेम परबत फ़िल्म ज्यादा नहीं चली थी लेकिन जयदेव का दिया इसका संगीत लोकप्रिय हुआ था । प्रस्तुत गीत ( ये दिल और उनकी निगाहों के साए ) के अलावा एक अन्य मोहक गीत इस फ़िल्म में था : रात पिया के संग जागी रे सखी ।
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आपने गीत ये दिल और उनकी निगाहों के साये लगाया जो मुझे बेहद पसंद पर है पर उसका पोस्ट पर जिक्र नहीं किया ?
ReplyDeleteधन्यवाद मनीष । जोड़ लिया।
ReplyDeleteजां निसार अख्तर का लिखा हुआ "ये दिल और उनकी निगाहों के साये" मेरा भी बेहद पसंददीदा गीत है.
ReplyDeleteजुड़ाव का एक कारण और कि जब ये गीत आया तब मैं गिटार बजाना सीख रहा था और उस समय माधुरी में इसकी स्वर लिपि छपी थी जिसकी सहायता से मैं इसे बजाने में सक्षम हुआ था.
आज इसे फिर सुनकर बहुत अच्छा लगा