छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Saturday, April 12, 2008
रस के भरे तोरे नैन , आप की याद आती रही रात भर
ग़मन फिल्म के दो अत्यन्त मर्मस्पर्शी गीत प्रस्तुत हैं । हीरादेवी मिश्रा का गाया हुआ 'रस के भरे तोरे नैन' तथा छाया गांगुली का गाया 'आप की याद आती रही रात भर'
क्या बात है साहब! एक अर्सा हुआ था इन शानदार नग़्मों को सुने.
ReplyDelete"याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही ..."
आज रात के अकेलेपन का बढ़िया इन्तज़ाम कर दिया आपने. शुक्रिया.
रस के भरे तोरे नैन.. आहा! आनन्द आ गया सुनकर।
ReplyDeleteसुंदर गीत । हमारी यादों में हमेशा गूंजते हैं ये ।
ReplyDeleteयहां तो आवाज ही नहीं आ रही है.
ReplyDeleteगमन का गीत सुने तो बहुत दिन हो गए थे। शुक्रिया इसे सुनवाने का।
ReplyDeleteआप की याद आती रही तो बारहा सुनता रहा हूँ पर रस के भरे तोरे नैन आज आपके सौजन्य से सुनने को मिला। बहुत बहुत शुक्रिया !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया-आभार
ReplyDeleteदोनों गाने बहुत अच्छे हैं.....
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