छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Tuesday, December 18, 2007
हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय का एक हिन्दी गीत
आशीर्वाद के आखिरी दृश्य में अशोक कुमार ( जोगी ठाकुर ) बरसों बाद अपने गांव लौट रहे हैं । फिल्म में वे कवि भी हैं और जिस बैलगाड़ी में बैठ कर वे आ रहे हैं उसका युवा गाड़ीवान उन्हीं का गीत गाता है 'जीवन से लम्बे हैं बन्धु ,ये जीवन के रस्ते' । फिर पगडण्डियों से जोगी ठाकुर जब गाँव में प्रविष्ट होते हैं तब अचानक एक विक्षिप्त-सा बुजुर्ग मादल के ताल ताक धिना धिन ताकुड़ नुकुड़ बोलता और उस ताल पर नाचता-सा उनके पीछे पीछे चल देता है । अशोक कुमार जब अचेत हो कर गिरते हैं तो इस बूढ़े के मुँह से निकला , 'जोगी ठाकुर' और पूरे गाँव में जनता के मन के निकट के इस कवि को देखने के लिए भीड़ जुट जाती है ।
रघु बावर्ची (राजेश खन्ना) जिस परिवार में पहुँचा है उसके सब से बुजुर्ग सदस्य (दादू) भी याद होंगे ? अपनी आवाज़ में बावर्ची में दादू ने गीत भी गाया है ।
जूली फिल्म के अंग्रेजी गीत की लाइनें याद हों - My love encloses, a plot of roses ?
गुपी गाईन , बाघा बाइन का जादूगर , विचित्र मन्त्रोच्चार करता?
साहित्य , राजनीति , रंगमंच और सिनेमा में उनकी रुचि थी । सरोजिनी नायडू उनकी बड़ी बहन थीं और समाजवादी नेत्री कमला देवी चट्टोपाध्याय उनकी पत्नी थीं(शादी लम्बी नहीं चली थी)। यह बहु-आयामी जीनियस थे - हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय !
उनका लिखा यह गीत राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान लोकप्रिय हुआ था । धुन भी उन्हीं की बनाई हुई है । हमने अपने विद्यालय में डॉ. मन्जू सुन्दरम से सीखने की कोशिश की थी ।
तरुण अरुण से रंजित धरणी, नभ लोचन है लाल ।
मृदु समीर में नाचे तरणी, नदी बजावे ताल । ।
हमें नहीं धन-दौलत आस, है स्वच्छन्द हमारा हास ।
रिझा नहीं सकता है हमको , जग माया का जाल । ।
चले धरा के बन्धन तोड़ , छाया चुम्बित तट को छोड़ ।
नव प्रभात लाली के सन्मुख , चढाव चिट्टा पार । ।
शोक नदी में देह तरीको , चला न सीखो , चला न सीखो ।
जल्द कटेंगे दिन अब उनके , क्यों देते हो टाल । ।
चप्पू अचपल जल थल मार , दिन रहते कर बेड़ा पार ।
अबहिं आवेगा सुखदायक , धूसर सन्ध्याकाल । ।
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fantastic!
ReplyDeleteभई गजब हो गया । मजा आ गया ।
ReplyDeleteअपनी यादों के ये अनजाने सुन्दर गीत हम से भी सांझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
अरे वाह जी मतलब अब हम भी गायक बन सकते है ,सुंदर कोशिश..:)
ReplyDeleteगीते के बोल शानदार हैं... :)
ReplyDeletebahut sunder. pratah kaal mein suna, aur achha laga
ReplyDeletebahut sunder, pratah kaal mein aur sunder laga
ReplyDeleteगीत बहुत बढिया लगा।
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