छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
soon kar mun khush ho gaya. rajghat school assembly room ki yaad aayee, aur aankh mein aansu aagayi. ucharan itna spastha he, aur gaya bhi bahut sunder hey.
अफलातून जी हम ये मान कर चल रहे हैं कि ये आपकी आवाज है । अगर हम गलत हैं तो बता दीजिएगा । और हां आगाज की महफिल में हम लगातार शामिल हैं । चाहे कुछ बोल बोल कर मौजूदगी जताएं चाहे एकदम्मै से चुप रहकर । शुभकामनाएं
अच्छा लगा भजन, और गाने का प्रयास भी..उम्मीद है आगे और सुनने को मिलेगा।
ReplyDeleteशुर तो बहुत सधा हुआ हौ भाया....यह तो एक दम्मै अलग कबीर है...
ReplyDeletebadhiya. rajghat ki yaad taaji ho gayi. ratna ne bhi pasand kiya
ReplyDeletesoon kar mun khush ho gaya. rajghat school assembly room ki yaad aayee, aur aankh mein aansu aagayi. ucharan itna spastha he, aur gaya bhi bahut sunder hey.
ReplyDeletebahut khoob. aflatoonn ji ki buland awaj mein.
ReplyDeletekabir ki logic irrefutable he
bahut khoob. aflatoonn ji ki buland awaj mein.
ReplyDeletekabir ki logic irrefutable he
ऐसा सधा हुआ सुर किसका है?
ReplyDeleteसुरो की कड़ी अच्छी बनेगी :)
ReplyDeleteकबीर की रचना पढना और साथ में सुनना एक नया अनुभव है। इस सराहनीय काम के लिए आपको बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा सुनना, नये प्रयास के लिये बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteअफलातून जी हम ये मान कर चल रहे हैं कि ये आपकी आवाज है । अगर हम गलत हैं तो बता दीजिएगा । और हां आगाज की महफिल में हम लगातार शामिल हैं । चाहे कुछ बोल बोल कर मौजूदगी जताएं चाहे एकदम्मै से चुप रहकर ।
ReplyDeleteशुभकामनाएं
आगाज़ की सफलता के लिए हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती