Friday, September 3, 2010

गीत - पहेली उर्फ़ बुझौव्वल (२) के मजेदार उत्तर और परिणाम

गीत - पहेली के गीतों और कविता से जब मैं रू-ब-रू हुआ तब मेरी स्थिति पूरी तरह सुनील दीपक-सी थी । इन्टरनेट पर पहेली देना कितना कठिन है यह भी तो सोचिए ! यह सही है कि परीक्षा प्रणाली में नरमी लाना हमेशा सुधार की दिशा में उठाया कदम होता है । खुली किताब वाले टेस्ट इसी लिहाज से परीक्षा - सुधारों में गिने जाते थे । स्पर्धा में भाग लेने वाले लगभग सभी गूगल बाबा की शरण में गये होंगे - सिवाय नीरज रोहिल्ला ,सुनील दीपक और लावाण्याजी के - यह मेरा अनुमान है !
बहरहाल ,तीसरे सवाल का जवाब सभी उत्तर देने वालों ने सही दिया है ! मुसाफ़िर फिल्म के लिए लता मंगेशकर के साथ यह मधुर आवाज दिलीप कुमार की है ।
दूसरे , सवाल का जवाब है : ’दिल की रानी ’ (१९४७) फिल्म का यह गीत राज कपूर ने गाया है । इसका सही उत्तर इन्दु पुरी , अशोक भार्गव , विनय जैन , किशोर ’किश ’सम्पत , पवन झा ने सही दिया है ।

पहले सवाल का उत्तर दो लोगों ने सही दिया है । मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया कबीर का यह भजन तेलुगु फिल्म भक्त रामदासु से लिया गया है । इस फिल्म में कबीर की भूमिका के लिए रफ़ी ने आवाज दी थी और तीन हिन्दी भजन गाये थे। फिल्म का संगीत निर्देशन वी. नागैय्या का था । अशोक भार्गव और पवन झा ने सही जवाब दिया है ।
चौथे गीत के साथ दो प्रश्न जुड़े थे । काव्य पाठ करने वाले प्रसिद्ध व्यक्ति की आवाज पहचाननी थी तथा फिल्म का नाम भी बताना था। पहले हिस्से का जवाब किसी ने सही नहीं दिया है । विश्व दीपक ने मेरी एक भूल की और इशारा किया है | इसके रचयिता साहिर लुधियानवी नहीं कैफ़ी आज़मी हैं |यह कविता इस्मत चुग़तई की लिखी और बनाई फिल्म ’सोने की चिड़ि्या ’ से है । तलत महमूद और नूतन के अलावा इसमें बलराज साहनी ने अभिनय किया था । यह काव्य पाठ बलराज साहनी का है । इस प्रश्न का आधा जवाब पवन झा ने सही दिया है ।
सभी उत्तर प्रकाशित कर दिए जा रहे हैं । परिणाम इस प्रकार है :
प्रथम : पवन झा (साढ़े तीन अंक )
द्वितीय : अशोक भार्गव (तीन अंक )
तृतीय : विनय जैन , किशोर ’किश’ सम्पत , इन्दु पुरी (दो अंक)
चतुर्थ : नीरज रोहिल्ला ,संजय पटेल , लावण्या (एक अंक)
पंचम : सुनील दीपक (आधा अंक ,ईमानदारी का)

Wednesday, September 1, 2010

Sunday, August 29, 2010

कुछ कम सरल फिल्मी-गीत- पहेली उर्फ़ बुझौव्वल (२)

मई २००७ में विविध भारती के श्रोताओं के लिए गीतों से सम्बन्धित एक पहेली मैंने शैशव पर पेश की थी । पाठक-श्रोताओं ने बहुत चाव से भाग लिया था ।
पिछले साल एक संगीत प्रेमी वरिष्ट ब्लॉगर ने मुझे एक खजाना भेंट दिया - कई हजार फिल्मी गानों की डीवीडी का । सभी गीत सुन भी नहीं पाया हूँ । मशीन पर इधर से उधर करते हुए चार गीत छाँटे हैं , बुझौव्वल में शामिल करने लायक ।
बुझौव्वल में भाग लेने वाले श्रोता अपने उत्तर इस पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में जमा करें । परिणाम के साथ टिप्प्णियां भी प्रकाशित कर दी जायेंगी । प्रश्नों के उत्तर से अलग टिप्पणियां जल्दी अनुमोदित होंगी ।
पहला गीत


प्रश्न १.
मोहम्मद रफ़ी के गाए इस भजन को किस फिल्म से लिया गया है ?

दूसरा गीत



दूसरा प्रश्न

यशोदानंदन जोशी द्वारा लिखा गया यह गीत सचिन देव बर्मन द्वारा सुरों में संजोया गया है । आपको गायक का नाम बताना है,जो एक प्रसिद्ध नाम है ।

तीसरा गीत


प्रश्न ३

लता मंगेशकर के साथ इस दोगाने में किस प्रसिद्ध व्यक्ति की आवाज है ?

चौथा गीत




प्रश्न४


प्रसिद्ध शायर साहिर लुधियानवी की इस रचना का पाठ एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने फिल्म में किया है । आपको उस व्यक्ति और फिल्म का नाम बताना है ।

आपके उत्तर ३ सितम्बर तक लिए जाएंगे । अन्य टिप्पणियां सदैव ग्राह्य हैं ।
विविध भारती से जुड़े लोग इस बुझौव्वल पर ताना कस सकते हैं , प्रश्नों पर टिप्पणी कर सकते हैं , उत्तर नहीं । यह बात खजाना देने वाले वरिष्ट ब्लॉगर मित्र पर भी लागू है ।

Friday, August 27, 2010

मुकेश की याद साथी युनुस ख़ान के साथ

ऐ दिल-ए-आवारा चल , गीत - मजरूह , संगीत सचिन देव बर्मन ,फिल्म- डॉ. विद्या
http://www.hummaa.com/music/album/23980/Dr.%20Vidya

सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं,संगीत-सलिल चौधरी ,फिल्म - मधुमती


मेरे ख़्वाबों में ख़्यालों में , फिल्म - हनीमून , गीत - शैलेन्द्र , संगीत - सलिल चौधरी



ज़िन्दगी ख़्वाब है,गीत - शैलेन्द्र ,संगीत - सलिल चौधरी ,फिल्म - जागते रहो



कई बार यूँ ही देखा है ,गीत - योगेश , संगीत - सलिल चौधरी , फिल्म - रजनीगंधा



आज मुकेश की पुण्य तिथि के मौके पर विविध भारती दिन भर उन पर केन्द्रित कार्यक्रम पेश कर रही है । सुबह ’भूले-बिसरे गीत’ में युनुस ख़ान ने आठ दिलकश गीत सुनवाए अपनी दिलकश आवाज में उद्घोषणा के साथ । इन्हें सुन कर आनन्द-अश्रु बहे । उनमें से कुछ गीत यहाँ प्रस्तुत हैं । सिर्फ़ आखिरी गीत सुबह के कार्यक्रम में नहीं था । गीतकार योगेश के प्रति युनुस भी आदर-भाव रखते हैं इसलिए दिन में कभी न कभी यह गीत भी प्रसारित हो जाएगा , यक़ीन है ।
आज सुबह और रात्रि ९.३० पर एक ही कलाकार में मुकेश होंगे , शाम चार बजे ’सरगम के सितारे’ मुकेश पर केन्द्रित होगा तथा शाम ७.०० बजे विशेष जयमाला में संगीतकार नौशाद द्वारा मुकेश पर केन्द्रित विशेष जयमाला का पुनर्प्रसारण होगा ।
दिल्ली जैसे शहर में आकाशवाणी का एफ़एम गोल्ड है परन्तु एफ़एम पर विविध भारती नहीं है ! मानो निजी एफ़एम चैनलों पर कृपा कर के ।
एक बार इस चिट्ठे पर विविध भारती की ’त्रिवेणी’ से प्रेरित तीन गीत लगाये थे तब युनुस भाई ने कहा था कभी उद्घोषणा के साथ नेट पर पूरा कार्यक्रम पेश होना चाहिए। इस सुझाव पर अमल की औकात हमारी नहीं है ।

Tuesday, August 10, 2010

चार ज्यादा सुने गीत : गमन,घर, दूर का राही, आलाप

आप की याद आती रही रात भर / गमन / गीत : मख़दूम मोहियुद्दीन,स्वर :छाया गांगुली ,संगीत जयदेव



नई री लगन / आलाप/स्वर मधु रानी,फ़ैय्याज,येसुदास ,संगीत जयदेव




बेकरारे दिल,दूर का राही,किशोर कुमार-सुलक्षणा पंडित,


आप की आंखों में कुछ - घर , किशोर-लता ,संगीत-राहुलदेव बर्मन,गीत-गुलज़ार

Saturday, July 31, 2010

छोटे चोर द्वारा ज्यादा सुने गये रफ़ी के गीत

 आ जा पंछी अकेला है , रफ़ी-आशा,मजरूह,सचिनदेव बर्मन,नौ दो ग्यारह


 दीवाना मस्ताना हुआ दिल, रफ़ी-आशा,मजरूह,बम्बई का बाबू,सचिनदेव बर्मन



मन रे तू काहे न धीर धरे ,चित्रलेखा, रफ़ी,साहिर लुधियानवी,रौशन


Thursday, July 22, 2010

छोटे चोर के ज्यादा देखे-सुने पांच विडियो

बीती न बिताई रैना , लता मंगेशकर -भुपेन्द्र , परिचय , राहुलदेव बर्मन,



इन दिनो,लाईफ़ इन अ मेट्रो



मनमोहना बड़े झूठे , लता मंगेशकर



आजा पंछी अकेला है,रफ़ी -आशा



रैना बीती जाए , लता ,अमर प्रेम,



अभी न जाओ छोड़कर - हम दोनों

Wednesday, July 21, 2010

छोटे चोर की पसन्द (३)

कई बार यूं ही देखा है,शब्द -योगेश ,स्वर - मुकेश



तुम अपना रंज-ओ-गम ,जगजीत कौर,संगीत-खैय्याम


Sunday, July 18, 2010

छोटे चोर के गीत (२)

मन आनन्द आनन्द छायो - आशा भोंसले तथा सत्यशील देशपांडे, संगीत - अजित वर्मन , शब्द- वसन्त देव,फिल्म- विजेता



बावरा मन देखने चला एक सपना ,फिल्म- हजारों ख्वाहिशें ऐसी, शब्द और स्वर - स्वानन्द किरकिरे

Friday, July 16, 2010

छोटे चोर द्वारा सुने गये गीत

संगीत कम्पनी वायकॉम द्वारा यूट्यूब और गूगल के खिलाफ़ कॉपीराईट उल्लंघन के एक अरब डॉलर के दावे में न्यू यॉर्क के दक्षिणी जिले की अदालत ने यूट्यूब और गूगल के पक्ष में फैसला दे दिया । अदालत ने कहा कि यह संभव नहीं है यूट्यूब जैसी सेवा देने वाली कम्पनी यह पता करे कि चढ़ाए गये विडियो से कॉपीराईट कानून का उल्लंघन हुआ है। विडियो कम्पनी यदि साबित कर दे कि कॉपीराईट उल्लंघन किया गया है तब उसे हटा लिया जाता है !
हमारी स्थिति भी यूट्यूब जैसी है । किशोरावस्था में बॉबी का छोटा वाला रेकॉर्ड (ई.पी.) बहुत जद्दोजहद के बाद खरीदा था और एस.एल.लोनी की प्लेन ट्रिग्नोमेट्री ,भाग एक के पांचवे अभ्यास का २६वां सवाल बिना किसी की मदद के हल कर लेने पर जीजाजी ने उस्ताद हाफ़िज़ अली खाँ का एक बड़ा रेकॉर्ड पुरस्कार स्वरूप दिया था । डिजिटल जमाने में संगीत या विडियो खरीद कर सुना / देखा नहीं है । अधिकांश इनटरनेट से इकट्ठा किया तथा कुछ डीवीडी भेंट स्वरूप मिल गये । दावा करने पर हटा लेने की शर्त मान कर हम भी संगीत प्रेमियों को इस ब्लॉग के मंच से कुछ पेश कर देते हैं ।
छ: - सात सौ गीतों में से कुछ छाँटना कितना कठिन होगा ! इस तरह की समस्या के लिए संगीत के गहन प्रेमी विनय जैन ने श्रोताओं के बीच ऑनलाईन सर्वेक्षण का तरीका अपनाया है । आज उस सर्वेक्षण की अंतिम तारीख थी ।
विनयजी जितना समर्पण और निष्ठा मुझ में नहीं है । हम ने यह गौर किया कि कम्प्यू्टर और आई-पॉड ने एक हिसाब रखा है - ’सर्वाधिक बजाये गये गीत ’। आज से किश्तों में पेश :


Sunday, April 25, 2010

आसमां पे है खुदा और ज़मीं पे हम/फिर सुबह होगी/मुकेश/साहिर खय्याम

आसमां पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आजकल किसीको वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी कीजिए रोकता नहीं
हो रही है लूटमार फट रहे हैं बम

किसको भेजे वो यहां खाक छानने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
किसको भेजे वो यहां हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगिनत देवता हैं कम

जो भी है वो ठीक है जिक्र क्यूं करें
हम ही सब जहान की फ़िक्र क्यूं करें
जब उसे ही ग़म नहीं तो क्यूं हमें हो ग़म

गीत - साहिर लुधियानवी
फिल्म - फिर सुबह होगी (१९५८)
स्वर - मुकेश
संगीत- खैय्याम (शर्माजी )

Saturday, April 24, 2010

नया मधुर गीत/दिल क्यूं ये मेरा शोर करे / केके/काईट्स/ नसीर फ़रज़/राजेश रोशन/

K.K - Dil Kyun Yeh Mera - DesiHit.Net .mp3
Found at bee mp3 search engine


दिल क्यूँ ये मेरा शोर करे
इधर नहीं उधर नहीं
तेरी ओर चले


जरा देर में
ये क्या हो गया
नज़र मिलते ही
कहाँ खो गया


भीड़ में लोगों की वो है वहाँ
और प्यार के मेले में अकेला कितना हूं मैं यहाँ

शुरु हो गई कहानी मेरी
मेरे दिल ने बात ना मानी मेरी
हद से भी आगे ये गुजर ही गया
खुद भी परेशां हुआ
और मुझको भी ये कर गया
**************************************
स्वर - केके
फिल्म - काईट्स
गीतकार नसीर फ़राज़
संगीत - राकेश रौशन

Friday, April 16, 2010

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या/ बेग़म अख़्तर/ख़्वाजा हैदर अली ’आतिश’

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या
केहती है तुझको खल्क़-ए-खुदा ग़ाएबाना क्या



ज़ीना सबा का ढूँढती है अपनी मुश्त-ए-ख़ाक
बाम-ए-बलन्द यार का है आस्ताना क्या



ज़ेरे ज़मीं से आता है गुल हर सू ज़र-ए-बकफ़
क़ारूँ ने रास्ते में लुटाया खज़ाना क्या



चारों तरफ़ से सूरत-ए-जानाँ हो जलवागर
दिल साफ़ हो तेरा तो है आईना खाना क्या



तिब्ल-ओ-अलम न पास है अपने न मुल्क-ओ-माल
हम से खिलाफ़ हो के करेगा ज़माना क्या



आती है किस तरह मेरी क़ब्ज़-ए-रूह को
देखूँ तो मौत ढूँढ रही है बहाना क्या



तिरछी निगह से ताइर-ए-दिल हो चुका शिकार
जब तीर कज पड़ेगा उड़ेगा निशाना क्या?



बेताब है कमाल हमारा दिल-ए-अज़ीम
महमाँ साराय-ए-जिस्म का होगा रवना क्या



यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे
आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या?
-ख़्वाजा हैदर अली ’आतिश ’

Monday, April 5, 2010

तू जी ऐ दिल जमाने के लिए/मन्ना डे/बादल/


खुदगर्ज़ दुनिया में ये,इंसान की पहचान है
जो पराई आग में जल जाये,वो इंसान है

अपने लिए जीए तो क्या जीए - २
तू जी ऐ दिल जमाने के लिए
अपने लिए

बाज़ार से जमाने के,
कुछ भी न हम खरींदेगे-२
हाँ, बेचकर खुशी अपनी औरों के गम खरीदेंगे
बुझते दिए जलाने के लिए-२
तू जी ऐ दिल,ज़माने के लिए
अपने लिए..

अपनी ख़ुदी को जो समझा,उसने ख़ुदा को पहचाना
आज़ाद फ़ितरतें इंसां, अंदाज़ क्या भला माना
सर ये नहीं झुकाने के लिए -२
तू जी ऐ दिल,ज़माने के लिए
अपने लिए..

हिम्मत बुलन्द है अपनी , पत्थर सी जान रखते हैं
कदमों तले ज़मीं तो क्या,
हम आसमान रख़ते हैं .
गिरते हुओं को उठाने के लिए
तू जी ऐ दिल,ज़माने के लिए
अपने लिए....

चल आफ़ताब लेकर चल,चल माहताब लेकर चल-२
तू अपनी एक ठोकर में सौ इंकलाब लेकर चल
जुल्म-ओ-सितम मिटाने के लिए
तू जी ऐ दिल जमाने के लिए
अपने लिए....

- जावेद अख़्तर नहीं जावेद अनवर
संगीतकार उषा खन्ना

Friday, March 19, 2010

तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीन कर

आज एक OTC प्रशिक्षित स्वयंसेवक के ब्लॉग पर इस गीत का टिकर देख कर मजा आया । आप भी सुनें :

पूरा गीत स्वयंसेवक आत्मसात करें तो कितना भला हो !

Saturday, January 23, 2010

नामालूम तरीके से नहीं आता है वसंतोत्सव

'वसंतोत्सव’ पर इस पोस्ट के साथ कविता का पाठ लगाना था । वर्डप्रेस में संभव नहीं हुआ । इसलिए यहाँ :

Monday, January 18, 2010

मार्टिन लूथर किंग के जनम दिन पर

अमेरिका में चले नागरिक - अधिकार आन्दोलन के नेता माटिन लूथर किंग महात्मा गांधी से प्रभावित थे । उनका जनम दिन १५ जनवरी को पड़ता है लेकिन अमेरिकी जनता इसे हमेशा निकट के सोमवार को मनाती है । गत शुक्रवार को वे ८१ वर्ष के होते। उनकी हत्या ४ अप्रैल १९६८ को हुई ।
आज उनके अभियान से जुड़े़ तीन गीतों के विडियो तथा ट्विटर पर आ रही उनकी हजारों सूक्तियों में से कुछ प्रस्तुत कर रहा हूँ ।

इस गीत में रंगभेद को एक हौसले और साथ ही व्यंग्य के साथ चुनौती दी गयी है । गायक पीट सीगर हैं ।
अश्वेत प्रार्थना ’ वी शाल ओवरकम ’ न सिर्फ़ नागरिक अधिकार आन्दोलन का मुख्य गीत बना अपितु अन्य देशों , अन्य भाषाओं में भी जन आन्दोलन में बतौर आवाहन गीत ( हम होंगे कामयाब ) लोकप्रिय हुआ :


पीट सीगर की तरह जोन बाएज़ भी नागरिक अधिकार तथा शान्ति आन्दोलन की प्रमुख हस्ती रही हैं और गायिका भी । उनके स्वर में :


ट्विटर पर आ रहे हजारों सन्देशों और सूक्तियों में से कुछ :
वे एक खाँटी नेता थे जो सर्व सम्मति की तलाश नहीं करता था उसका निर्माण करता था ।
’सही काम करने के लिए हर वक्त सही होता है ।
’”किसी मक़सद के लिए न मरने वाला व्यक्ति जीने के लायक नहीं । ’
मेरे तथा मेरे जैसे तमाम अफ़्रीकी-अमेरिकनों के लिए जहां हम पहुंचे हैं उसका मार्ग प्रशस्त करने के लिए उन्हें प्रणाम ।
’ यह न भूलना कि हिटलर ने जर्मनी में को भी किया एक आईन के तहत किया । ’
’ जीवन का सबसे जरूरी सवाल ,"तुम दूसरों के लिए क्या कर रहे हो ’
’ प्रेम वह एकमेव ताकत है जो दुश्मन को दोस्त में बदल दे ’
’ शान्ति सिर्फ़ एक दूरस्थ लक्ष्य नहीं , उसे हासिल करने का साधन भी है ’
’ चुपचाप जुल्म को कबूल लेने वाला उससे कम दोषी नहीं जो जुल्म का षड़यन्त्र रचता है ’
’ अंधेरा अंधेरे को भगा नहीं सकता,सिर्फ़ प्रकाश भगा सकता है । नफ़रत नफ़रत को खत्म नहीं कर सकती सिर्फ़ प्रेम कर सकता है । ’
’जिन्दगी में महत्व रखने वाले मुद्दों पर जिस दिन हम चुप्पी साधना शुरु करते हैं ,उस दिन जिन्दगी के अन्त की शुरुआत हो जाती है ’
तीन सम्बन्धित पोस्ट :
तीन बागी गायक

अशोक पाण्डे को समर्पित जोन बाएज़ पर पोस्ट
गाना माने प्यार करना , हाँ कहना ,उड़ना और ऊँचे उड़ना

Sunday, January 3, 2010

उम्र कब की बरस के सुफ़ेद हो गई,काली बदरी जवानी की छँटती नहीं !

गुलजार के शब्द ,विशाल भारद्वाज का संगीत , राहत फ़तह अली की आवाज और फिल्म इश्किया का यह गीत