छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Friday, April 25, 2008
हरि आवन की आवाज : मीरा बाई :सुब्बलक्ष्मी
यह चित्र विभाजन के बाद जल रही फिरकावाराना आग़ के दौरान दिल्ली में हो रहे प्रार्थना - प्रवचन का है । भजन गाने वाली महिलाओं में सब से बाँए, मीरा भजन गा रही हैं एम . एस . सुब्बलक्ष्मी । गाँधी जी के आग्रह पर सुब्बलक्ष्मी ने मीरा के भजन गाए । भक्ति आन्दोलन के दौरान राजपुताना से चल कर मीरा बाई काशी आईं और सन्त रविदास की शिष्य बनीं । इस युग में सुब्बलक्ष्मी ने मीरा के भजनों को कर्नाटक संगीत की सुन्दर धुनें दीं और अपना मधुर स्वर । पूरब-पश्चिम , उत्तर-दक्षिण का अनूठा मेल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है । प्रस्तुत भजन में 'कोयलिया'-शब्द को अनेक बार दोहराते हुए सुब्बलक्ष्मी को गौर से सुनिएगा ।
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बहुत ही मधुर गीत सुनवाने के लिये आपका धन्यवाद !
ReplyDeleteगान सरस्वती सुब्बलक्ष्मी के मुहं से मीरा के पद जितना भी सुनें और सुनने की साध बनी रहती है .
ReplyDeleteआप बेहतर बेहतर नगीने पेश कर रहें है.
ReplyDeleteमन वृंदावन हो गया सुब्बुलक्ष्मी का स्वर दर्शन कर.सन १९८३ में सत्य साई बाबा के आश्रम पुट्टपर्ती में एम.एस. को गाते सुना था. एक अनूठा वैभव था उनके व्यक्तित्व में. जिस मनोदशा से वे अपने किशोरवय में गुज़रीं और उससे उबर कर जिस महानता तक वे पहुँचीं वह उनकी जीजिविषा के अभूतपूर्व दास्तान है.
ReplyDelete2 ya 3 bar is sundar aur surili gayika ko JP ko bhajan sunate sunne dekhne ka saubhagya mila hai ..bejod !
ReplyDelete1977-78 men JP Loknayak ko bhajan sunate S subbo lakshmi ji ko sunane dekhne ka saubhagya mila hai ..''ye to sachmuch " Priyangi swara '' rahin .
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