छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Friday, March 19, 2010
तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीन कर
आज एक OTC प्रशिक्षित स्वयंसेवक के ब्लॉग पर इस गीत का टिकर देख कर मजा आया । आप भी सुनें :
"पूरा गीत स्वयंसेवक आत्मसात करें तो कितना भला हो ! "
वो कम से कम गा तो रहे है वरना तो यहाँ लोग जिस थाली में खाते है उसी में छेद कर जाते है ! हम हिन्दुस्तानी उम्मीद तो करते है कि कोई इस देश में भगत सिंह बने , कोई चंद्रशेखर बने, कोई सुभाष चन्द्र बोस बने, मगर सब यह सब अडोस पड़ोस वालों के बच्चे ही बने अपना बेटा बने तो बस सिर्फ कोई मालदार विभाग का मंत्री !
"पूरा गीत स्वयंसेवक आत्मसात करें तो कितना भला हो ! "
ReplyDeleteवो कम से कम गा तो रहे है वरना तो यहाँ लोग जिस थाली में खाते है उसी में छेद कर जाते है ! हम हिन्दुस्तानी उम्मीद तो करते है कि कोई इस देश में भगत सिंह बने , कोई चंद्रशेखर बने, कोई सुभाष चन्द्र बोस बने, मगर सब यह सब अडोस पड़ोस वालों के बच्चे ही बने अपना बेटा बने तो बस सिर्फ कोई मालदार विभाग का मंत्री !
इस गीत को प्रलेस , जलेस , जनस्ंस्क्रति मंच और इप्टा के कॉमरेडस बरसों से गा रहे हैं । यह उनका मार्चिंग सॉंग है ।
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