दिनेशरायजी की तरह दीवाली के अवसर पर मेरी बिटिया प्योली भी घर आई है । उसने दो तीन गीतों की फरमाईश कर दी जो मेरे जमाने के हैं और उसने बचपन में सुने हैं । बहुत मुश्किल हो गयी खोजने में । लेकिन मेहनत का फल मिला किसी न किसी रूप में । उम्मीद है आप सब इनका पूरा रस लेंगे ।
जिन्दगी को संवारना होगा
आई ऋतु सावन कीचाँद अकेला जाए सखी रीनई री लगन और मीठी बतियां
आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ …प्योली को ख़ासतौर पर धन्यवाद इतनी सुंदर पोस्ट के लिये
ReplyDeleteसचमुच इन गीतों ने पुराने दिनों की याद दिला दी। आज कल 60-80 के दशकों के गीत लौट रहे हैं। बेटा जब से आया है। उस जमाने के गीतों के वीडियो डाउनलोड करने में लगा है।
ReplyDeleteदीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
लोग मंदी से कुछ सीखें।
बहुत सुंदर गीत . दीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामना .
ReplyDeleteमन प्रसन्न हो कर दिया आप ने.
ReplyDeleteआप को और आप के परिवार को दीवाली की शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर | दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteदीवाली आप के लिए समृद्धि लाए।
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteप्योली की पसन्द तो बड़ी खास लग रही है..अच्छा लगा....और क्या क्या है...सुनाईयेगा हम तैयार बैठे हैं, हमारी तरफ़ से दीपावली की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteदिपावली की शूभकामनाऎं!!
ReplyDeleteशूभ दिपावली!!
- कुन्नू सिंह
बहुत सुन्दर गीत सुनवाने के लिए प्योली जी व आपका धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती