भटियाली वे बांग्ला नौकागीत हैं जो भाटा के दौरान नाविक गाया करते हैं , नदी की बहने की स्वाभाविक दिशा में । भटियाली - धुन इतनी मधुर और लोकप्रिय है की गीतों के अलावा प्रख्यात वादकों ने इन्हें सितार ,सरोद और बाँसुरी पर बजाया है । भटियाली में रवीन्द्र संगीत भी है । अन्य भारतीय भाषाओं में भी भटियाली धुनें अपनाई गई हैं । यहाँ भटियाली की दो धुनों पर दो हिन्दी फिल्मी गीत,सितार पर उस्ताद विलायत खान की बजाई एक धुन तथा रुना लैला का गाया एक बांग्ला लोक गीत है । गौर कीजिएगा धुनें दो हैं,दोनों भटियाली ।
हिन्दी फिल्मों में भी भटियाली-धुनों पर गीत आये जो सदाबहार बन गये ।
उस्ताद विलायत खान : सितार : भटियाली
नन्हा-सा पंछी रे तू बहुत बड़ा पिंजडा तेरा आमाय डुबाइली रे , आमाय भाशाईली रे - रुना लैला
गंगा आये कहाँ से : काबुलीवाला : हेमन्त कुमार : सलिल चौधरी : गुलजार ( प्रेम धवन ने इसी फिल्म का 'ऐ मेरे प्यारे वतन' लिखा है)
हिन्दी फिल्मों में भी भटियाली-धुनों पर गीत आये जो सदाबहार बन गये ।
उस्ताद विलायत खान : सितार : भटियाली
नन्हा-सा पंछी रे तू बहुत बड़ा पिंजडा तेरा आमाय डुबाइली रे , आमाय भाशाईली रे - रुना लैला
गंगा आये कहाँ से : काबुलीवाला : हेमन्त कुमार : सलिल चौधरी : गुलजार ( प्रेम धवन ने इसी फिल्म का 'ऐ मेरे प्यारे वतन' लिखा है)
बहुत कुछ नया जान जाता हूँ यहाँ आकर । खूबसूरत प्रस्तुति । आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर खजाना है, आभार।
ReplyDelete------------------
जल में रह कर भी बेचारा प्यासा सा रह जाता है।
जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
अच्छे लगे गीत ..सुन्दर.
ReplyDeleteपहले वाद्य फिर कंठ गीतों ने मन मोह लिया ..
ReplyDeleteलोकधुनों में क्या असर है !
............ आभार ,,,
Behtreen Prastuti....
ReplyDeleteआपको कभी पकड़ना ही पड़ेगा। संगीत में जानने समझने के लिये बहुत कुछ है।
ReplyDeleteइस बार (२८ से ३० अगस्त) बंगलुरु में लेकिन आपको नहीं पकड़ पाए। सप्रेम,
Delete