छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Wednesday, August 20, 2008
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय रागों के नमूने : डी .वी. पलुस्कर
दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर का परिचय इस ब्लॉग के श्रोताओं को है । उनके गायन की तीन पोस्ट यहाँ पेश हो चुकी हैं । श्री संजय पटेल के अनुरोध ( तिलक कामोद ) पर यहाँ राग विभास , मालकौंस अदि यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं । सुधी श्रोता वृन्द रसास्वादन करेंगे ।
adhbhut....aabhaar ...aur kya kahey...suna jaa raha hai..
ReplyDeleteइतने बेहतरीन राग सुनवाने के लिए आभार
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