छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Saturday, August 9, 2008
सुने री मैंने निर्बल के बल राम/पलुस्कर/भैरवी
सूरदास की भक्ति रचना , 'सुने री मैंने निर्बल के बल राम ', स्वर पंडित डी . वी. पलुस्कर का , राग - भैरवी ।
बहुत सुंदर भजन हैं,वातावरण एकदम राममय और पवित्र हो गया,आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए ,सच! इतने अच्छे अच्छे कलाकार हो गए हैं,आप उनको सुनवा रहे हैं,इससे अच्छा और क्या हो सकता हैं . धन्यवाद !
वाह जी वाह.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा और कर्णप्रिय.
देखिये राग वगैरह तो नहीं समझता पर सुनकर आन्नद आया.
आपका धन्यवाद इतना मधुर गीत सुनाने के लिए.
ReplyDeleteसुनकर बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बहुत सुंदर भजन हैं,वातावरण एकदम राममय और पवित्र हो गया,आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए ,सच! इतने अच्छे अच्छे कलाकार हो गए हैं,आप उनको सुनवा रहे हैं,इससे अच्छा और क्या हो सकता हैं . धन्यवाद !
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