छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
सुन्दर! वैसे मुझे मुकेश बहुत ज़्यादा प्रिय नहीं हैं पर आपका लगाया तो सुनना ही होता है. निराश नहीं हुआ इस दफ़े भी.
वाकई दुर्लभ गीत हैपहली बार सुनने और देखने का अवसर मिला
एक और शानदार गीत... मुकेश के शुरुआती दौर के गीतों और सबसे मधुर गीतों में से एक। यह प्लेयर लोड होने में समय ज्यादा लेता है।
achha laga, vaise I love Rafi sahab...he was my fav singer...Lata ji n Rafi sahab shayad duniya ke sab se achhe singers hain....
बहुत प्यारा नगमा है...
पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।
सुन्दर! वैसे मुझे मुकेश बहुत ज़्यादा प्रिय नहीं हैं पर आपका लगाया तो सुनना ही होता है. निराश नहीं हुआ इस दफ़े भी.
ReplyDeleteवाकई दुर्लभ गीत है
ReplyDeleteपहली बार सुनने और देखने का अवसर मिला
एक और शानदार गीत... मुकेश के शुरुआती दौर के गीतों और सबसे मधुर गीतों में से एक।
ReplyDeleteयह प्लेयर लोड होने में समय ज्यादा लेता है।
achha laga, vaise I love Rafi sahab...he was my fav singer...Lata ji n Rafi sahab shayad duniya ke sab se achhe singers hain....
ReplyDeleteबहुत प्यारा नगमा है...
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