छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Wednesday, July 1, 2009
रफ़ी और अनेक
विविध भारती से कभी एक कार्यक्रम प्रसारित होता था - ’एक और अनेक’ । आज उसी कार्यक्रम की याद में मोहम्मद रफ़ी के साथ विभिन्न गायिकाओं के दोगाने हैं ।
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पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।