छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Thursday, July 16, 2009
तोसे नैना लागे रे, पिया साँवरे
कल ही एक मित्र के ईस्नाइप के फोल्डर में सुना । मित्र समीरलाल को समर्पित ।
लगता है मुझे अपनी पसंद के सारे गीत आपके इस ब्लॉग पर मिल जायेंगे....एड कर लिया है अपनी पसंदीदा सूची में.....अब तो अच्चे संगीत के संपर्क के लिए यहाँ ही ठौर बनाना पड़ेगा....
लगता है मुझे अपनी पसंद के सारे गीत आपके इस ब्लॉग पर मिल जायेंगे....एड कर लिया है अपनी पसंदीदा सूची में.....अब तो अच्चे संगीत के संपर्क के लिए यहाँ ही ठौर बनाना पड़ेगा....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका.....