डॉ. शालीन कुमार सिंह अंग्रेजी भाषा के कवि हैं । एक शालीन युवा । भारत में अंग्रेजी में कविता करने वाले एक समूह से जुड़े हैं । उन्हें तबला बजाने का भी शौक है । हाल ही में इनसे तार्रुफ़ हुआ है जो दोस्ती में बदल रहा है । मेरे ब्लॉग पर छपी कुँवरनारायण की एक कविता का उन्होंने अनुवाद किया है ।
इस ब्लॉग पर राशिद खान के गायन की पोस्ट देख कर तपाक से शालीन बोले,’वे भी बदाऊँ के हैं ।’ इस नयी दोस्ती के नाम पर आज की पोस्ट उस्ताद राशिद ख़ान द्वारा राग भटियार में गाया तराना है। कहते हैं , भटियार शब्द का मूल भतृहरि से है। इसके गायन का वक्त पौ फटते ही है ।
उस्ताद राशिद ख़ान के गायन का रस लीजिए :
Dhanyavad Aflatoon!
ReplyDeleteक्या बात है!!!
ReplyDeleteA strange fusion of words, historic place, pictures and music! Wow!
ReplyDeleteBadaun comes alive for me. Great!
बहुत खूब!
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteसुन्दर..
ReplyDeleteहमारे जैसे लोग सुबह तो नहीं सुन पाते हैं पर साम के इस पहर में भी इसे सुनना सुकून दे गया।
ReplyDeleteएक तो राशिद खान साहब की गहरी आवाज़ उस पर सोहे भटियार ...जैसे माँ बच्चे को भोर में जगाती है नीद से ...पुचकार के.... अद्भुत ..आभार
ReplyDeleteheart breathing craft sir
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