तुम अपना रंज-ओ-ग़म ,अपनी परेशानी मुझे दे दो ।
तुम्हें ग़म की कसम , इस दिल की वीरानी मुझे दे दो ।
ये माना मैं किसी का़बिल नहीं हूँ इन निग़ाहों में ।
बुरा क्या है अग़र , ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो ।
मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्हें कैसे सताती है ।
कोई इनके लिए अपनी निगेबानी मुझे दे दो ।
वो दिल जो मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था ।
बड़ी इनायत है अग़र उसकी पशेमानी मुझे दे दो ।
- फिल्म - शग़ुन (१९६४) , गीतकार - साहिर लुधियानवी ,गायिका - जगजीत कौर, संगीत- खैय्याम
आभार इस गीत का..
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
बहुत प्यारा गीत है। दीपावली पर जगमगा रहा है।
ReplyDeleteदीपावली पर शुभकामनाएँ!
रौशनियों के इस मायाजाल में
ReplyDeleteअनजान ड़रों के
खौ़फ़नाक इस जंजाल में
यह कौन अंधेरा छान रहा है
नीरवता के इस महाकाल में
कौन सुरों को तान रहा है
.....
........
आओ अंधेरा छाने
आओ सुरों को तानें
आओ जुगनू बीनें
आओ कुछ तो जीलें
दो कश आंच के ले लें....
०००००
रवि कुमार
अच्छा गीत है !!
ReplyDeleteपल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
अफलातून
ReplyDeleteभाई,
nice song !
स स्नेह दीपावली की शुभकामनाएं आपके परिवार के सभी के लिए
- लावण्या
क्या सुरीला गीत है. धन्यवाद इस अमर गीत को सुनाने के लिये.
ReplyDeleteदिपावली की शुभकामनायें आपको और परिवार को.