Sunday, April 25, 2010

आसमां पे है खुदा और ज़मीं पे हम/फिर सुबह होगी/मुकेश/साहिर खय्याम

आसमां पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आजकल किसीको वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी कीजिए रोकता नहीं
हो रही है लूटमार फट रहे हैं बम

किसको भेजे वो यहां खाक छानने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
किसको भेजे वो यहां हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगिनत देवता हैं कम

जो भी है वो ठीक है जिक्र क्यूं करें
हम ही सब जहान की फ़िक्र क्यूं करें
जब उसे ही ग़म नहीं तो क्यूं हमें हो ग़म

गीत - साहिर लुधियानवी
फिल्म - फिर सुबह होगी (१९५८)
स्वर - मुकेश
संगीत- खैय्याम (शर्माजी )

6 comments:

पसन्द - नापसन्द का इज़हार करें , बल मिलेगा ।