सारे जहाँसे अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा ।
हम बुलबुलें हैं उसकी , वह बोस्ताँ हमारा ॥ध्रु.॥
गुरबतमे हों अगर हम , रहता है दिल वतनमें ।
समझो वहीं हमें भी , दिल हो जहाँ हमारा ॥१॥
परबत वह सबसे ऊँचा , हमसाया आसमाँका ।
वह संतरी हमारा , वह पासबाँ हमारा ॥२॥
गोदीमें खेलती हैं , जिसकी हजारों नदियाँ ।
गुलशन है जिनके दम से , रश्के-जिनाँ हमारा ॥३॥
ए आबे-रूदे-गंगा , वह दिन है याद तुझको ।
उतरा तेरे किनारे , जब कारवाँ हमारा ॥४॥
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ।
हिन्दी हैं हम , वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा ॥५॥
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा , सब मिट गये जहाँ से ।
अब तक मग़र है बाकी , नामोनिशाँ हमारा ॥६॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन , दौरे – जमाँ हमारा ।।७॥
इक़बाल कोई महरम , अपना नहीं जहाँमें ।
मालूम क्या किसीको , दर्दे – निहाँ हमारा ॥८॥
- अल्लामा इक़बाल
बोस्ताँ = बाग , गुरबत = विदेश , परदेश
हमसाया = पड़ौसी , पासबाँ = रक्षा करने वाला ,
रश्के-जिनाँ = स्वर्ग को भी डाह हो जिनसे ,
महरम = भेद जानने वाला , दर्दे-निहाँ = छिपी हुई वेदना
सुषमा श्रेष्ठ द्वारा गाया ।
छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Friday, November 27, 2009
Saturday, November 21, 2009
जीवन से लम्बे हैं बन्धु , ये जीवन के रस्ते /मन्ना डे/गुलजार/आशीर्वाद/वसन्त देसाई
जोगी ठाकुर का लिखा गीत तरुणाई से लबरेज गाड़ीवान गा रहा है । जोगी ठाकुर ही इतना डूब के सुन रहे हैं ,उसे पता नहीं है ।
स्वर - मन्ना डे , संगीत - वसन्त देसाई , बोल - गुलज़ार , फिल्म आशीर्वाद
स्वर - मन्ना डे , संगीत - वसन्त देसाई , बोल - गुलज़ार , फिल्म आशीर्वाद
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Wednesday, November 4, 2009
दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है
आज रवि भाई ने अपने ब्लॉग पर गीत चढ़ाने वाले शौकीनों के लिए ’खुले स्रोत ’ का उपाय सोदाहरण बताया है । दो बार असफल होने के बावजूद उदास नहीं हुआ , फलस्वरूप यह उम्मीद पैदा करने वाला गीत आप सबके लिए प्रस्तुत हो सका । दिल नाकामयाब भले ही हो, नाउम्मीद न हो - आप सब के लिए यह कामना है । रवि भाई को समर्पित
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