Friday, November 27, 2009

मालूम क्या किसीको, दर्दे – निहाँ हमारा / अल्लामा इक़बाल

सारे जहाँसे अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा ।

हम बुलबुलें हैं उसकी , वह बोस्ताँ हमारा ॥ध्रु.॥

गुरबतमे हों अगर हम , रहता है दिल वतनमें ।

समझो वहीं हमें भी , दिल हो जहाँ हमारा ॥१॥

परबत वह सबसे ऊँचा , हमसाया आसमाँका ।

वह संतरी हमारा , वह पासबाँ हमारा ॥२॥

गोदीमें खेलती हैं , जिसकी हजारों नदियाँ ।

गुलशन है जिनके दम से , रश्के-जिनाँ हमारा ॥३॥

ए आबे-रूदे-गंगा , वह दिन है याद तुझको ।

उतरा तेरे किनारे , जब कारवाँ हमारा ॥४॥

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ।

हिन्दी हैं हम , वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा ॥५॥

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा , सब मिट गये जहाँ से ।

अब तक मग़र है बाकी , नामोनिशाँ हमारा ॥६॥

कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।

सदियों रहा है दुश्मन , दौरे – जमाँ हमारा ।।७॥

इक़बाल कोई महरम , अपना नहीं जहाँमें ।

मालूम क्या किसीको , दर्दे – निहाँ हमारा ॥८॥

- अल्लामा इक़बाल



बोस्ताँ = बाग , गुरबत = विदेश , परदेश

हमसाया = पड़ौसी , पासबाँ = रक्षा करने वाला ,

रश्के-जिनाँ = स्वर्ग को भी डाह हो जिनसे ,

महरम = भेद जानने वाला , दर्दे-निहाँ = छिपी हुई वेदना



सुषमा श्रेष्ठ द्वारा गाया ।

Saturday, November 21, 2009

जीवन से लम्बे हैं बन्धु , ये जीवन के रस्ते /मन्ना डे/गुलजार/आशीर्वाद/वसन्त देसाई

जोगी ठाकुर का लिखा गीत तरुणाई से लबरेज गाड़ीवान गा रहा है । जोगी ठाकुर ही इतना डूब के सुन रहे हैं ,उसे पता नहीं है ।
स्वर - मन्ना डे , संगीत - वसन्त देसाई , बोल - गुलज़ार , फिल्म आशीर्वाद




Wednesday, November 4, 2009

दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है

आज रवि भाई ने अपने ब्लॉग पर गीत चढ़ाने वाले शौकीनों के लिए ’खुले स्रोत ’ का उपाय सोदाहरण बताया है । दो बार असफल होने के बावजूद उदास नहीं हुआ , फलस्वरूप यह उम्मीद पैदा करने वाला गीत आप सबके लिए प्रस्तुत हो सका । दिल नाकामयाब भले ही हो, नाउम्मीद न हो - आप सब के लिए यह कामना है । रवि भाई को समर्पित