पहला गीत आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी का दोगाना है । फिल्म रिलीज़ नहीं हुई । अभिनय विश्वजीत और साधना का दिख रहा है ।
दूसरा गीत १९५२ की जाल फिल्म का है , साहिर लुधियानवी के बोलों को सचिन देव बर्मन ने सुरों में ढाला है , गायिका लता मंगेशकर हैं ।
सुनिए और बताइए कि पहले इन्हें सुना था या नहीं और कैसे लगे ?
saadhan ke saath shayad ..gurudutt hain.....ye geet bahut badhiyaa lagaa...
ReplyDeleteपारुल ने सुधारा - विश्वजीत नहीं गुरुदत्त । आभार।
ReplyDeletesaadhnaa ka naam galat likha maafi
ReplyDeleteपहली बार पता चला कि गुरुदत्त और साधना को ले कर भी कोई फिल्म बनी थी। चुपके-चुपके आपकी सौगातों का आनंद लेता रहता हूं।
ReplyDeleteसच में अनूठे गीत. लाख बार सुना. पहले गीत के संगीतकार कौन हैं .... इस पर कोई रौशनी डाली जा सकती है क्या ? कमाल है वो गीत ...
ReplyDeleteमीत भाई , पहले गीत का संगीत एन. दत्ता का है।
ReplyDeleteदोनोँ गीत अनसुने व अनोखे लगे -बहुत आभार !
ReplyDeleteपरिवार के सभी के सँग दीपावली का त्योहार सेलीब्रेट कीजै यही शुभकाँक्षा है
स्नेह सहित -
- लावण्या
सच में, दोनों ही गीत पहली बार सुने । दोनों ही गीत अत्यधिक मादक हैं - रातरानी की गन्ध की तरह ।
ReplyDelete'कितना रंगीन है समां' सुनने पर 'आज की रात बडी शोख, बडर नटखट है, आज तो तेरे बिना नींद नहीं आएगी' की धरती का स्पर्श भी हुआ ।