Thursday, October 23, 2008

दो अनूठे गीत

पहला गीत आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी का दोगाना है । फिल्म रिलीज़ नहीं हुई । अभिनय विश्वजीत और साधना का दिख रहा है ।
दूसरा गीत १९५२ की जाल फिल्म का है , साहिर लुधियानवी के बोलों को सचिन देव बर्मन ने सुरों में ढाला है , गायिका लता मंगेशकर हैं ।
सुनिए और बताइए कि पहले इन्हें सुना था या नहीं और कैसे लगे ?


8 comments:

  1. saadhan ke saath shayad ..gurudutt hain.....ye geet bahut badhiyaa lagaa...

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  2. पारुल ने सुधारा - विश्वजीत नहीं गुरुदत्त । आभार।

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  3. पहली बार पता चला कि गुरुदत्त और साधना को ले कर भी कोई फिल्म बनी थी। चुपके-चुपके आपकी सौगातों का आनंद लेता रहता हूं।

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  4. सच में अनूठे गीत. लाख बार सुना. पहले गीत के संगीतकार कौन हैं .... इस पर कोई रौशनी डाली जा सकती है क्या ? कमाल है वो गीत ...

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  5. मीत भाई , पहले गीत का संगीत एन. दत्ता का है।

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  6. दोनोँ गीत अनसुने व अनोखे लगे -बहुत आभार !
    परिवार के सभी के सँग दीपावली का त्योहार सेलीब्रेट कीजै यही शुभकाँक्षा है
    स्नेह सहित -
    - लावण्या

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  7. सच में, दोनों ही गीत पहली बार सुने । दोनों ही गीत अत्‍यधिक मादक हैं - रातरानी की गन्‍ध की तरह ।
    'कितना रंगीन है समां' सुनने पर 'आज की रात बडी शोख, बडर नटखट है, आज तो तेरे बिना नींद नहीं आएगी' की धरती का स्‍पर्श भी हुआ ।

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