छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Monday, May 2, 2011
गीता दत्त के कुछ गीत
गीता दत्त के गाए गीत मुझे पसन्द हैं । आप भी सुनिए :
जाने क्यूं नहीं पहुँच पाया पहले ही ....
ReplyDeleteखैर ,
बात कुछ बन ही गयी ...
आनंद !!
Ek Baar fir suna raha hoo,(Kal REaat ko bhi sunaa thaa. man hi nahi bhar rahaa.
ReplyDelete