छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
येसुदास के हिन्दी फिल्मी गीतों का दौर । बहुत आनन्ददायक दौर । क्या किसी क्षेत्रवादी साजिश के कारण उन्होंने हिन्दी फिल्मों गीतों में गाना बन्द कर दिया था ? अज़दक भाई शायद बता दें । या युनुस बतायें ।