Wednesday, February 18, 2009

'धनी - धनी धन्य हो बढ़इय्या'

अतहि सुन्दर पालना गढ़ि लाओ रे बढ़इया, गढ़ि लाओ रे बढ़इया

शीत चन्दन कटाऊँ धरी,खलादि रंग लगाऊँ विविध ,

चौकी बनाओ रंग रेशम ,लगाओ हीरा, मोती ,लाल बढ़इया ।

आनी धर्यो नन्दलाल सुन्दर,व्रज-वधु देखे बार-बार

शोभा नहि गाए जाए ,धनी ,धनी ,धन्य है बढ़इया ।।



करीब ४० साल पहले विदूषी गिरिजा देवी की योज्ञ शिष्या डॉ. मन्जू सुन्दरम ने स्कूल में यह सुन्दर गीत सिखाया था । उनके मधुर स्वर में यह गीत प्रस्तुत कर पाता तो क्या बात होती ! मंजू गुरुजी ने कहा तो है कि उनके स्वर में सी.डी. बनेगी। फिलहाल ब्लॉग के पते के अनुरूप सुराबेसुरा झेल लीजिए !
गीत में सिर्फ पालने की स्तुति नहीं है अपितु पालने को गढ़ने वाले बढ़ई की स्तुति भी है । मैंने १९७७ में करीब चार महीने की एक नौकरी की थी - ' अदिति : शिल्प और बाल जीवन' नामक राजीव सेठी कृ्त शिल्प प्रदर्शनी में । प्रदर्शनी की थीम के अनुरूप यह गीत था सो उसका उपयोग किया गया । बनारस में शिल्प एकत्र करने के अलावा प्रदर्शनी के लिए गीत जुटाने और उनके अनुवाद में मैंने मदद की थी । अपनी बिटिया को लोरी के रूप में यह गीत सुनाता था।


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Tuesday, February 10, 2009

पंडित भीमसेन जोशी व उस्ताद राशिद खान:राग शंकरा:परिचय उस्ताद विलायत खान

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन के दो शिखर पंडित भीमसेन जोशी और उस्ताद राशिद खान राग शंकरा प्रस्तुत कर रहे हैं । सितार की मूर्धन्य वादक उस्ताद विलायत ख़ान इस राग का परिचय करा रहे हैं । विलायत ख़ान साहब का ७८ आर.पी.एम का पहला रेकॉर्ड मात्र आठ साल की उम्र में जारी हुआ था तथा मृत्यु से पहले ७५ वर्ष की अवस्था में अन्तिम प्रस्तुति की ।


Tuesday, February 3, 2009

' हमनी के रहब जानी , दूनो परानी ' : शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा जब आईं और बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में छा गयीं तब उनका यह गीत हमारे दिमाग पर सवार हो गया था , लाजमी तौर पर ।