दिनेशरायजी की तरह दीवाली के अवसर पर मेरी बिटिया प्योली भी घर आई है । उसने दो तीन गीतों की फरमाईश कर दी जो मेरे जमाने के हैं और उसने बचपन में सुने हैं । बहुत मुश्किल हो गयी खोजने में । लेकिन मेहनत का फल मिला किसी न किसी रूप में । उम्मीद है आप सब इनका पूरा रस लेंगे ।
जिन्दगी को संवारना होगा
आई ऋतु सावन कीचाँद अकेला जाए सखी रीनई री लगन और मीठी बतियां