छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Saturday, August 29, 2020
दीवाली पर सप्रेम उपहार , दुर्लभ गीतों का
दिनेशरायजी की तरह दीवाली के अवसर पर मेरी बिटिया प्योली भी घर आई है । उसने दो तीन गीतों की फरमाईश कर दी जो मेरे जमाने के हैं और उसने बचपन में सुने हैं । बहुत मुश्किल हो गयी खोजने में । लेकिन मेहनत का फल मिला किसी न किसी रूप में । उम्मीद है आप सब इनका पूरा रस लेंगे । जिन्दगी को संवारना होगा आई ऋतु सावन कीचाँद अकेला जाए सखी रीनई री लगन और मीठी बतियां
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