tag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post867008457293114348..comments2022-11-22T16:09:54.827+05:30Comments on आगाज़: पलुस्कर का मधुर गायनअफ़लातूनhttp://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-91520099218677374082008-07-05T00:14:00.000+05:302008-07-05T00:14:00.000+05:30धन्यवाद अफलातून जी और ये लिन्क भी देखियेगा http://...धन्यवाद अफलातून जी और ये लिन्क भी देखियेगा <BR/>http://www.lavanyashah.com/<BR/>( अमेरिका में जो लावण्याजी ने देखा वो आपको भी दिखा रही हैं। देखिये दिलकश नजारे।)<BR/> -लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-57251152292381990692008-07-04T21:45:00.000+05:302008-07-04T21:45:00.000+05:30ठुमकी चलत रामचंद्र,पायो जी मैने रामरतन धन पायो,चाल...ठुमकी चलत रामचंद्र,पायो जी मैने रामरतन धन पायो,चालो मन गंगा जमुना तीर,जानकीनाथ सहाय करे जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो और रघुपति राघव राजा राम जैसे कितनी ही भक्ति रचनाओं के प्रति पलुस्करजी ने मुझ जैसे लोगों को अपने सुर से आकर्षित किया.उनको सुनते सुनते ही ये पद याद भी हो जाते थी.ग्वालियर घराने की गायकी का ये अप्रतिम गायक जल्दी ही इस लौकिक संसार से चला गया लेकिन हम सब की मानस-स्मृति से नहीं.<BR/><BR/>दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे विलक्षण गायक की स्मृति में ऐसा कुछ भी नहीं इस देश में जो पलुस्करजी के नाम को अगली पीढ़ी के मन में आदर का भाव जगा सके.फ़िल्म बैजू-बावरा तो उनकी गान-प्रतिभा का एक छोटा सा पहलू है , वे इससे ऊपर भारतीय शास्त्रीय संगीत के दमकते नक्षत्र थे.आपने उनका स्मरण कर पुण्य अर्जित कर लिया.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-30049160159774156912008-07-04T18:36:00.000+05:302008-07-04T18:36:00.000+05:30सुंदरतम। साधुवाद।सुंदरतम। साधुवाद।Prabhakar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04704603020838854639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-13355117640316795182008-07-04T17:55:00.000+05:302008-07-04T17:55:00.000+05:30इस लाजवाब उपहार के लिए आपके प्रति किस तरह आभार प्र...इस लाजवाब उपहार के लिए आपके प्रति किस तरह आभार प्रकट करूं . पलुस्कर जी की स्वर-लहरी पर सवार होकर मैं उस अतीन्द्रिय जगत में पहुंच गया जहां मैं कुछ देर के लिए ही सही अपने पिता का हाथ थामे बैठा रहा . उन पिता का जो अब इस दुनिया में नहीं हैं . <BR/><BR/>पं. डी.वी.पलुस्कर द्वारा राग झिंझोटी में गाया सूरदास का पद 'अंखियां हरि दरसन की प्यासी' पिता जी,जिन्हें हम सब भाई-बहन बड़े चाचा कह कर पुकारते थे, की सर्वाधिक प्रिय रचनाओं में एक था . सो मैंने भी इसे कई बार सुना . <BR/><BR/>पुनः आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूं .Anonymousnoreply@blogger.com